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नाम
६६, नार्थ एवेन्यू, Member of Parliament
नई दिल्ली (Lok Sabha)
Phone : 384473
दिनांक १-३-१९८६ मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि विश्वबन्धुत्व के महान् सन्देशाहक, राष्ट्रीय एकता के आध्यात्मिक प्रतीक आचार्यरत्न श्री देशभूषण जी महाराज की तप-साधना के ५१ वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष में आप 'आस्था और चिन्तन' नामक अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रकाशन कर महाराज जी के करकमलों में भेंट करने जा रहे हैं। सम्पूर्ण विश्व में आधुनिकता की मानसिकता ने मानव-मूल्यों को बुरी तरह प्रभावित किया है। मनुष्य को मनुष्यता के रास्ते पर चलाने के लिए ऐसे मनीषियों की आज आवश्यकता है। आप जानते हैं कि धार्मिकता के निरन्तर ह्रास के कारण अराजकता, बिखराव और बहुत-सी कुरीतियां व विसंगतियां बढ़ी हैं । मनुष्य को मनुष्य बनाने वाला धर्म उपेक्षित होता जा रहा है जिसके अभाव से विश्व में शान्ति व्यवस्था, एकता समाप्त होती जा रही है।
आहार निद्रा भय मैथुनश्च
सामान्यमेतत् पशुभिः नराणां धर्मोहि शेषां अधिको विशेषां
धर्मोविहीना पशुभिसमानः ।। आपका यह अभिनन्दन ग्रन्थ सभी लोगों में धर्म का उदय करे और उनके बीच कटता की दीवार समाप्त कर सद्भावना व प्रेम की ज्योति जगाये ।
डॉ० चन्द्रशेखर त्रिपाठी
MEMBER OF PARLIAMENT
(LOK SABHA)
1998, Naughara, Kinari Bazar, Chandni Chowk, Delhi-110006. Date 282.86
श्री आचार्यरत्न देशभूषण जी महाराज जैन साधुओं की प्रथम श्रेणी में आते हैं। लाखोंकरोड़ों नागरिक आपकी वाणी सुनकर धर्म की ओर आकर्षित होते हैं। आप जैसे महापुरुष धर्म में लोगों की आस्था जगाते हैं । मैं भगवान् से प्रार्थना करता हूँ कि आप हजारों साल धर्म की ज्योति लेकर चलते रहें ताकि लोग अपने सही धर्म के मार्ग को पहचान सकें।
जयप्रकाश अग्रवाल
आस्था का अy
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