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________________ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org M आचार्य रत्न श्री देशभूषण जी महाराज अभिनन्दन ग्रन्थ क्रम ग्रन्थ नाम एवं संख्या उनका प्रमाण १ १. २. ३. ४. ७. ६. १०. ११. १२. २ आदिपुराण नाभेयनेमि द्विसन्धान काव्य बाहुलीदेवचरि बाहुबलि छन्द पद्य सं० २११ तिसट्टि महापुरिक्ष गुणा लंकारु भुजबलि-शतक बाहुबलीपरि भरतराज दिग्विजय वर्णन भाषा बाहुबलिवेल भरतभुजबलिचरित २२० पद्य सजवरास गोम्मटेशचरिते प्रणेता ३ आदिपम्प हेमचन्द्र धनपाल कुमुदचन्द्र रइधू ० दोड्डय पंचबाण अज्ञात भाषा ४ कन्नड़ संस्कृत अपभ्रश हिन्दी अपभ्रंश कन्नड़ कन्नड़ हिन्दी वीरचंद्रसूरि राजस्थानी हिन्दी पामो हिन्दी जिनहर्षगणि गुजराती अनन्तकवि कन्नड़ रचनाकाल ५. विक्रम की १३ वीं सदी वि० सं० १४५४ वि० सं० १४६७ वि० सं० १५५० १६१४६० वि० [सं० २०४९ वि० सं० १७५५ १७८० ई० प्रतिलिपिकाल पत्र संख्या उपलब्ध करने अथवा जानकारी प्राप्त करने के लोल ६ वि० सं० TWEE वि० सं १७३८ असोज सुदी वि० [सं० १७४४ T ।। ७ अज्ञात अज्ञात २७० अज्ञात ६०२ अज्ञात अज्ञात ५६ १० अज्ञात अज्ञात अज्ञात ८ Jajna Antiquary Vol V No. IV PP. 144-146 पाटण प्राचीन भण्डार नं० १ वरीवाडा, पाटन आमेर शा० भं०, जयपुर में सुरक्षित आमेर शास्त्र भण्डार जयपुर ग्रन्थ सूची भा० ५ / १०६६ दि० जैन मन्दिर बारा बंकी Jain Antiquary Vol V No IV, pp. 144-146. " आमेर शा० भ० जयपुर ग्रन्थ सूची भा० ३/६५. दि० जैन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर में सुरक्षित भट्टारक सम्प्रदाय (सोलापुर) पृ० २८६ विशेष ε ऋषभदेव चरित वर्णन प्रसंग में बाहुबलि परित यति है। श्लेष - शैली में बाहुबलि चरित वर्णित है। हिन्दी भाषा विकास की दृष्टि से यह ग्रन्थ अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। १०० पद्यों में बाहुबलि चरित वर्णित है। इस रचना को जिनसेन कृत आदिपुराण के २६ वें पर्व का प्राचीन हिन्दी गद्या - नुवाद माना जा सकता है । हिन्दी भाषा विकास की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण रचना दे० आमेर शा० भं० जयपुर ग्रन्थसूची भा० ५ / ११६* Jain Antiquary Vol V No IV pp. 144-146
SR No.012045
Book TitleDeshbhushanji Aacharya Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR C Gupta
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year1987
Total Pages1766
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size56 MB
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