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विभिन्न प्रतिक्रियाएं होंगी; अतः कृपया वे वहीं से अधिवेशन की सफलता के लिए आशीर्वाद प्रदान करें। आचार्यरत्न श्री देशभूषणजी ने इसे दिगम्बरत्व का अपमान माना और कहा-हमारे श्रावक प्रतिनिधि भी फिर क्यों जायेंगे ? मैं नहीं जाऊंगा तो मुनि नगराज व मुनि सुगील कुमार भी कैसे जायेंगे ? स्थिति उलझ गई ।
मध्याह्न में केन्द्रीय उपशिक्षा मंत्री चार बजे की मीटिंग का कार्यक्रम निश्चित करने मेरे यहाँ आये। बातें हुई। उन्होंने कहा-प्रधानमंत्री भवन के निर्णय पर शिक्षा मंत्रालय क्या कर सकता है ? मैंने कहा-आप स्वयं आचार्यरत्न श्री देशभूषण जी के दर्शन कर लें तथा उन्हें आश्वस्त कर दें। वैसा सम्भव न हो तो मेरे दो प्रतिनिधियों को पालियामेंट में श्री यशपाल कपूर तक पहुंचा दें ताकि मेरी राय उनके माध्यम से प्रधानमंत्री तक अविलम्ब पहुंच सके । अस्तु, उपशिक्षा मंत्री ने आचार्य देशभूषण जी महाराज के दर्शन किये, पर, बात बनने वाली थी ही नहीं। उन्होंने कहा-भगवान् महावीर दिगम्बर थे और सरकार भगवान महावीर की निर्वाण जयन्ती में दिगम्बर मुनियों को ही बांध देना चाहती है, यह कैसी है भगवान् महावीर की निर्वाण जयन्ती ?
मेरे प्रतिनिधि उपशिक्षा मंत्री के साथ ही पालियामेंट में पहुंच गये। इन्दिरा जो के सचित्रों से मिले तो उन्होंने कहाप्रधानमंत्री महिला हैं, पालियामेंट भवन है; इस स्थिति में दिगम्बर मुनियों का यहां आना उचित नहीं है । अन्त में यशपाल कपूर स्वयं प्रतिनिधियों को मिल गये। उन्हें बताया गया-मुनि श्री नगराज जी ने कहा है कि दो वर्षों का 'काता-पीता कपास' हो जायेगा, आप गम्भीरता से प्रधानमंत्री का ध्यान इस ओर दिलायें । श्री कपूर ने एक ओर हटकर प्रधानमंत्री से फोन पर बात की तथा तत्काल प्रतिनिधियों को कह दिया-दिगम्बर आचार्य जो को सहर्ष पधारने का निवेदन कर दें। बात बन गई। हम सब आचार्य, मुनि नई दिल्ली के जैन मन्दिर में ही तब तक एकत्रित हो गये थे। वहीं सन्देश आ गया और हम सब सहर्ष पालियामेंट में पहुंच गये। प्रथम अधिवेशन सानन्द सम्पन्न हो गया।
आचार्यरत्न श्रा देशभूषण जो के उस सभा में भाग लेने की दिगम्बर समाज में अन्यत्र जो भी चर्चा रही हो, पर, मैं यह मानता हूं, ऐसा करक आचार्य जा ने दिगम्बरस्व को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलवा दी। उस दिन ऐसा नहीं होता तो दिगम्बर आचार्य व मुनि इन्दिरा गांधी की अध्यक्षता में समायोजित भगवान महावीर के २५० वें विराट् नियोग समारोह में भी कैसे भाग ले सकते ? पर, उस दिन आचार्य देशभूषण जो के दृढ़ निश्चय ने इस प्रश्न को सदा-सदा के लिए हल कर दिया। अस्तु, उनके अभिनन्दन प्रसंग पर मैं अपनी शुभकामनाएं समर्पित करता हूं।
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अभिनन्दन
उपाध्याय श्री अमर मुनि जी
आचार्य-श्रेष्ठ मुनिवरेण्य श्री देशभूषण जी किसी एक देशविशेष के ही भूषण नहीं हैं, वे देश-देश के एवं जन-जन के भूषण हैं। वे त्याग और वैराग्य की, धर्म और अध्यात्म की सामान जीवित मूति हैं, वे करुगा के देवता हैं। समाज के सर्वतोमुखी कल्याण की दिशा में आचार्य श्री की मंगलमयी करुणा ने जो महत्त्वपूर्ण कार्य किए हैं, पर हर कोई सहुदय व्यक्ति गौरवानुभूति कर सकता है। आचार्य श्री एक युग के नहीं, युग-युग के आदर्श हैं।
मैं व्यवहार में भिन्न परम्परा का मुनि होते हुए भी गुणानुराग से आचार्य श्री का हार्दिक अभिनन्दन और उनके यशस्वी दीर्घ जीवन हेतु मंगल-कामना करता हूँ।
आचार्यरत्न श्री देशभूषण जी महाराज अभिनन्दन अन्य
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