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________________ भारतीय संस्कृति में श्रमण संस्कृति का योगदान डॉ० रवीन्द्रकुमार जैन संस्कृति शब्द का अर्थ और परिभाषा प्राय: अंग्रेजी के कल्चर शब्द के पर्याय के रूप में संस्कृति शब्द समझा जाता है। जिस प्रकार एग्रीकल्चर अपनी भावात्मक मार अवस्था को प्राप्त कर कल्चर बन गया। अर्थात् जीवन की मूलभूत उपयोगिता-भूखतप्ति परिष्कृत होकर, निखर कर कल्चर बनी। संस्कृति में भी उसी प्रकार कृष्टि-कृषि या कृति निहित है। संभवतः कृष्टि शब्द का दीर्घकालीन विकास ही संस्कृति शब्द के गर्भ सानो बंगाल में कृष्टि शब्द का प्रयोग कृषि के लिए ही होता है । यद्यपि कुछ शब्दगत साम्य अवश्य मिलता है, परन्तु पौर्वात्यविशेषत: भारतीय और पाश्चात्य सांस्कृतिक चेतना में जो मौलिक अन्तर है, उसे भुलाया नहीं जा सकता। पश्चिम की सांस्कृतिक चेतना सखी यथार्थमलक और अन्ततः भोगात्मक रही है, जबकि हमारी जीवनदृष्टि सदा अन्तमुखी-आत्मपरक, आदर्शमलक और बन रही है। कुछ भी हो, यह शब्द संस्कृत भाषा का है अतः हमें इसकी व्युत्पत्ति भी वहीं खोजनी होगी। सम् उपसर्ग पूर्वक करणे धात में सट का आगम करके क्तिन् प्रत्यय करने पर संस्कृति शब्द सिद्ध होता है। इस शब्द में सम् और कृति ये दो शब्द ऐसे हैं विदानों ने अनेक अर्थ किए हैं। सहज और सीधा अर्थ यही हो सकता है-सम् अर्थात् सम्यक् और पूर्ण रीति से कृति अर्थात किए कार्य। जिस प्रकार परिश्रम से जोता, गोड़ा और निराया गया अच्छी मिट्टी वाला खेत निश्चित रूप से अच्छी फसल देता है, उसी विभिन्न साधनाओं से परिपक्व हुआ व्यक्तिगत या जातीय जीवन संस्कृत-जीवन कहा जा सकता है। ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में संस्कति-कल्चर-शब्द की यह व्याख्या है-मस्तिष्क, रुचि और आचार-व्यवहार की शिक्षा और शुद्धि, इस प्रकार शिक्षित और शद्ध अवस्था. सभ्यता का बौद्धिक पक्ष, विश्व की सर्वोत्कृष्ट ज्ञात और कथित वस्तुओं से स्वयं को परिचित कराना।' आप्टे के संस्कृत शब्दकोष में संस्कृ धातु के अनेक अर्थ दिए गए हैं-सजाना, संवारना, पवित्र करना, सुशिक्षित करना आदि। जहाँ तक संस्कृति के मूल मन्तव्य और परिभाषा की बात है, विभिन्न विद्वानों ने इस दिशा में भी अपने मौलिक और विचार प्रकट किए हैं। “यह मन, आचार अथवा रुचियों की परिष्कृति या शुद्धि है।"""""संस्कृति कुछ ऐसी चीज का नाम बनियादी और अन्तर्राष्ट्रीय है । फिर संस्कृति के कुछ राष्ट्रीय पहलू भी होते हैं। और इसमें कोई सन्देह नहीं कि अनेक राष्ट्रों ने विशिष्ट व्यक्तित्व तथा अपने भीतर कुछ खास ढंग के मौलिक गुण विकसित कर लिए हैं।" संस्कृति शब्द का सम्बन्ध जिसका अर्थ है संशोधन करना, उत्तम बनाना, परिष्कार करना । संस्कृत शब्द का भी यही अर्थ है । अंग्रेजी शब्द कल्चर जती धात है जो एग्रीकल्चर में है । इसका भी अर्थ पैदा करना या सुधारना है। संस्कार व्यक्ति के भी होते हैं और जाति के भी। २. The training and refinement of mind, tastes and manners, the condition of being thus trained and refined. the intellectual side of cultivation, the acquainting ourselves with the best that has been known and said in the world, To adorn, grace, decorate, (2) to refine, polish, (3) to consecrate by repeating mantras, (4) to purify (a person) (5) to cultivate, educate, train, (6) make ready, proper, equip, fit out, (7) to cook food, (8) to purify, clean, (9) to collect, heap together. संस्कृति के चार पध्याय (लेखक-रामधारी सिंह दिनकर), पृ०६ पर पंडित जवाहरलाल नेहरू की प्रस्तावना । आचाईरल भी देशभूषण की महाराज अभिनन्दन अन्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012045
Book TitleDeshbhushanji Aacharya Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR C Gupta
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year1987
Total Pages1766
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size56 MB
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