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________________ प्रणामांजलि आचार्यरत्न श्री देशभूषण जी महाराज वर्तमान युग में जैन धर्म की प्रभावना करने वाले शीर्षस्थ आचार्य हैं । वे हमारे लिए परमपूज्य हैं और गुरुतुल्य हैं । दीक्षा और संयम की दृष्टि से वर्तमान में वरिष्ठतम आचार्य श्री देशभूषण जी महाराज हम सबकी प्रणामांजलि के पात्र हैं। हम उन्हें त्रिबार नमोऽस्तु करते हैं। जैन धर्म और संस्कृति की रक्षा करने में आचार्य श्री देशभूषण जी महाराज विगत अर्धशताब्दी से साधनारत हैं । आपने अनेक तीर्थक्षेत्रों एवं मन्दिरों का जीर्णोद्धार एवं नवनिर्माण करवाया है और विशाल जिन-बिम्बों की प्रतिष्ठा करवाई है। निरन्तर अमृतमय उपदेश देकर और सम्पूर्ण भारत में अनथक पद-यात्राएं करके आपने श्रावकों में धर्म के प्रति रुचि जाग्रत की है। प्राचीन हस्तलिखित एवं मुद्रित दुर्लभ ग्रन्थों का आपने विद्वत्तापूर्ण सम्पादन किया है और मानव-समाज को आध्यात्मिक आलोक प्रदान करने के लिए अनेक ग्रन्थों का प्रणयन किया है । ऐसे युगप्रमुख आचार्य के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के प्रति श्रद्धा प्रकट करने की दृष्टि से अभिनन्दन ग्रन्थ समिति ने जो प्रयास किया है वह सराहनीय है। इस ग्रन्थ में देश-विदेश के विद्वानों के जैन विद्या विषयक निबन्ध बहुत ही सुरुचिपूर्ण दृष्टि से प्रस्तुत किये गए हैं । १८०० पृष्ठों के इस भव्य अभिनन्दन ग्रन्थ 'आस्था और चिन्तन' को देखकर बहुत प्रसन्नता हुई है । इसके सम्पादन कार्य से जुड़े हुए महामंत्री श्री सुमतप्रसाद जैन और प्रधान सम्पादक डॉ. रमेशचन्द्र गुप्त के श्रम और साथ ही महाराज श्री के प्रति उनकी श्रद्धा से ही यह कार्य प्रकाश में आ सका है। उन्हें और सम्पादन मंडल के अन्य सभी सहयोगियों को हमारा आशीर्वाद। हमें विश्वास है कि यह ग्रन्थ सम्पूर्ण विश्व के लिए अहिंसा का सन्देशवाहक बनेगा और जिन-वाणी के प्रचार-प्रसार में इससे बल मिलेगा। ऐसे उत्तम कोटि के ग्रन्थ बहुत कम देखने में आते हैं । ग्रन्थ के प्रकाशन में रुचि लेने के लिए समिति के सभी सदस्य, दातार एवं आस्थाशील श्रावक इसी प्रकार उपयोगी कार्यों में संलग्न रहें, ऐसी हमारी कामना है। -श्री १०८ आचार्य विमल सागर बड़ौत (उ० प्र०) दिनांक ४-४-१९८७ आचार्यरत्न श्री देशभूषण जी महाराज अभिनन्दन ग्रन्थ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012045
Book TitleDeshbhushanji Aacharya Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR C Gupta
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year1987
Total Pages1766
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size56 MB
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