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जैन मन्त्रशास्त्रों की परम्परा और स्वरूप
(२) वश्याकर्षण
जिन ध्वनियों की वैज्ञानिक संरचना के घर्षण द्वारा इच्छित वस्तु, व्यक्ति, पशु, पक्षी, देवी-देवता आदि चुम्बक की तरह खिंचे हुए साधक के पास आजाये तथा उनका विपरीत मन भी साधक की अनुकूलता स्वीकार करले, उन ध्वनियों के सनिवेश को वश्याकर्षण मन्त्र कहते हैं।
जो व्यक्ति इस चिन्तामणि नाम के यन्त्र का पूजन करता है, उसके वश में सम्पूर्ण लोक के साथ-साथ मुक्ति रूपी स्त्री भी हो जाती है।'
इस यन्त्र को भोजपत्र पर अष्टगन्ध से लिखकर आसन के नीचे दबाकर रखने से आने वाला व्यक्ति प्रभावित होगा तथा व्याख्यान के समय पास रखने से सभा मोहित होगी।*
१० भैरव पद्मावती कल्प, पृष्ठ २३ २. सं० पं० अम्बालाल शाह, अनुभव सिद्ध मन्त्र द्वात्रिंतिका, "पृष्ठ ३० ३. सं० नेमैन्द्रचन्द्र जैन, महावीरकीर्ति स्मृति ग्रन्थ, पृष्ठ २२३ ।
४. करणीदान सेठिया, मन्त्रविद्या, पृष्ठ १५
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मन्त्रॐ ह्रीं श्रीं कलिकुण्डस्वामिने वशमानय आनय स्वाहा। - वशीकरण चिन्तामणि यन्त्र विधि - पार्श्वनाथ प्रभु के सम्मुख अच्छे चमेली के दस हजार पुष्पों से तीन रात्रि तक साधना करने से किसी भी मनुष्य का बयाकर्षण हो सकता है।"
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(४) मोहन
जिन ध्वनियों की वैज्ञानिक रचना के पर्वन द्वारा किसी को मोहित कर दिया जाय अर्थात् जिन मन्त्रों के द्वारा मनुष्य, पशु, पक्षी आदि मोहित कर दिये जायें उन ध्वनियों के सन्निवेश को मोहन मन्त्र कहते हैं । मेस्मेरिग्म, हिप्नोटिज्म आदि प्रायः इसी के अंग है।
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मोहनी विद्या मन्त्र ॐ नमो भगवती कराली महाकराली, ॐ महामोह सम्मोहनीय महाविद्य: जंभय जंभय स्तम्भय स्तम्भय मोहय मोहय मुच्चय मुच्चय क्लेदय क्लेदय आकर्षय आकर्षय पातय पातय कुनेर सम्मोहिनी ऐं ह्रीं ह्रीं ह्रौं आगच्छ कराली स्वाहा || मोहनी विद्या ॥
इस विद्या मन्त्र का जाप करने से इच्छित व्यक्ति अथवा सभा को मोहित किया जा सकता है ।
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व्यक्ति व सभा मोहन वशीकरण यन्त्र
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