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अह पंचहि ठाणेहि जेहि सिक्खा न लगभई।
थंभा, कोहा, पमाएणं रोगेणाऽलस्सएण य ॥३॥ १. अभिमान, २. क्रोध, ३. प्रमाद, ४. रोग तथा ५. आलस्य
इन पाँच कारणों से शिक्षा प्राप्त नहीं हो सकती। अह अहिं ठाणेहि सिक्खासीले त्ति वुच्चई । अहस्सिरे सया दन्ते न य मम्ममुदाहरे ॥४॥ नासोले न विसीले, न सिया अइलोलुए। अकोहणे सच्चरए सिक्खासीले ति वुच्चई ।।५।।
-उत्तराध्ययन सूत्र, अध्ययन ११ १. जो हँसी-मजाक नहीं करता, २. जो सदा शान्त रहता है, ३. जो किसी का मर्म प्रकाशित नहीं करता है, ४. जो अशील-सर्वथा आचारहीन न हो, ५. जो विशील-दोषों से कलंकित न हो, ६. जो रसलोलुप-चटोरा न हो, ७. जो क्रोध न करता हो, ८. जो सत्य में अनुरक्त हो,
-इन आठ गुणों वाला व्यक्ति शिक्षा प्राप्त करने के योग्य होता है।
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