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कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : तृतीय खण्ड
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___ सेना, पुलिस के बच्चों को दी जाने वाली छात्रवृत्तियाँ १. जिला सैनिक बोर्ड द्वारा प्रदत्त छात्र- ६ से ११ स्थल, जल, वायु सेना के भूतपूर्व सैनिकों के बच्चों वृत्तियाँ
की कम से कम ५ वर्ष की सेवा, बालक की आयु
२१ वर्ष से अधिक नहीं होने पर दी जाती है। २. पुलिस कर्मचारियों के बालकों के लिये १० से ११ कान्सटेबल व हैडकान्सटेबल स्तर के कर्मचारियों छात्रवृत्तियाँ
के बच्चों को। समाज कल्याण विभाग द्वारा विकलांगों को छात्रवृत्ति १. भारत सरकार द्वारा
ह से ११ डाक्टरी प्रमाण आवश्यक है। अभिभावक आयकर
नहीं देता हो। २. राज्य सरकार द्वारा
१ से ११ ४० प्रतिशत अंक प्राप्त करने पर । डाक्टरी प्रमाण
आवश्यक है। आयकर नहीं देते हों। ३. आत्म-समर्पित डाकुओं के परिवार के
राजस्थान का मूल निवासी हो, बच्चों के अतिबच्चों तथा क्षतिग्रस्त परिवारों के
रिक्त भाई-बहिनों को भी देय है, आयकर नहीं बच्चों को छात्रवृत्ति ।
देते हो।
अन्य छात्रवृत्तियाँ १. सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ छात्रवृत्ति
विद्यालय से सम्पर्क करें। २. मिलट्री स्कूल देहरादून की प्रवेश चयन
छात्रवृत्ति प्रदान करने हेतु समाचार पत्रों में ___छात्रवृत्ति
विज्ञप्ति प्रसारित की जाती है।..
३. पूर्ण सत्र खेल तुला प्रशिक्षण में पढ़ने
१०० रु. प्रति माह १० माह के लिए, छात्र सुबह वाले छात्रों को स्टाईपेण्ड
शाम कोचिंग लेकर दिन में पढ़ते हों। उपर्युक्त छात्रवृत्तियों के अतिरिक्त प्रायः प्रत्येक स्कूल में समाज के धनी-मानी व प्रतिष्ठित लोगों द्वारा अपनी ओर से भी छात्रवृत्तियाँ दी जाती हैं । विभिन्न उद्योगों, ट्रस्टों व समाज के अन्य अंगों से भी छात्रवृत्तियाँ देने के प्रावधान रहते हैं । इस दृष्टि से प्रत्येक विद्यालय के प्रधानाध्यापक का यह दायित्व है कि वह अपने स्कूल में तत्सम्बन्धी सम्पूर्ण रेकर्ड रखे और छात्रों को उसका लाभ मिल सके, इस तरह की व्यवस्था करें। छात्रवृत्तियाँ अधिक से अधिक मिल सकें इस तरह का प्रयास करना प्रधानाध्यापक के दैनिक कार्य में सम्मिलित रहना चाहिये। यह विद्यालय की एक प्रवृत्ति है। जिस प्रकार खेल-कूद या सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन विद्यालय की एक प्रवृत्ति के अन्तर्गत आते हैं, उसी तरह छात्रों को अधिकाधिक छात्रवृत्तियाँ मिलें और कोई भी प्रतिभावान् छात्र धन के अभाव में अपना अध्ययन बन्द न करे, ऐसी स्थिति बनने पर ही प्रधानाध्यापक की क्षमता प्रकट होती है, ऐसा मानकर चलना चाहिये।
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