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छात्र, छात्रावास और संस्कार
मैं समझता हूँ यदि ठीक तरह से बताया जाय तो ध्यान करना छात्रों के लिए सभी दृष्टियों से उपयोगी है। यदि जल्दी उठकर ध्यान किया जाये तो उससे इतनी ताजगी प्राप्त की जा सकती है जो घण्टों सोने से भी नहीं प्राप्त की जा सके । कालेज स्तरीय छात्रावासों में तो इसकी अवश्य व्यवस्था की जानी चाहिये । यदि हम अपने समाज के छात्रों को सही प्रशिक्षण दे सकें तो उन्हें दूसरों की ओर दौड़ने की आवश्यकता नहीं होगी।
इस दृष्टि से राणावास का छात्रावास उल्लेखनीय है। पर आज केवल एक राणावास से काम नहीं चल सकेगा । आवश्यकता है हर बड़े शहर में राणावास खड़ा किया जाये। इसका अर्थ यह नहीं है कि हर जगह इतने बड़े आवास बनाये जायें पर इसका यह अर्थ अवश्य है कि हर जगह गृहस्थ संन्यासी केसरीमलजी सुराणा जैसे व्यक्तित्व पैदा किए जायें।
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मिट्ठ मियं असंदिग्धं पडिपुण्णं वियं जियं । अयंपिरमणुविग्गं भासं निसिर अत्तवं ॥
-दशवकालिक ८।४८ ऐसी भाषा बोलनी चाहिए जो दृष्ट (देखी हुई हो), परिमित, संशय रहित, पूर्ण वाचालता रहित तथा शान्तियुक्त हो ।
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