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________________ जैन महिला शिक्षण संघ की विभिन्न प्रवृत्तियाँ : संक्षिप्त परिचय २७३ छात्रावास में प्रत्येक छात्रा का भोजन खाता व वैयक्तिक लेनदेन का खाता अलग है। कोई भी छात्रा नकदी रुपया-पैसा नहीं रख सकती। वे छात्रावास के बाहर सामान आदि खरीदने नहीं जा सकती हैं। अगर उन्हें किसी भी वस्तु की आवश्यकता होती है तो गृहमाता लाकर देती है। उस स्थिति में पैसा उनके व्यक्तिगत खाते में से कट जाता है। छात्राओं को बाहर जाने की अनुमति सिर्फ अभिभावकों के साथ ही मिलती है। छात्राओं के लिए पूर्ण नियंत्रण में रहने के लिए आदेश व निर्देश दिये जाते हैं । प्रवेश के समय इन्हें नियम, उपनियम से परिचय कराया जाता है। किसी भी छात्रा के द्वारा अनुशासन के भंग करने पर चेतावनी दी जाती है। इसके उपरान्त भी अनुशासन भंग करने पर शारीरिक दण्ड दिया जाता है। प्रत्येक कमरे का एक मोनीटर होता है जो उस कमरे की सफाई सम्बन्धित व्यवस्था देखता है। दल में अनुशासन बनाये रखता है। उस कमरे से सम्बन्धित रिपोर्ट वह छात्रा गृहमाता को देती है। इस तरह से हर दल में या कमरे में एक मानीटर होता है। इसी प्रकार कुछ और बड़ी छात्राओं को मनोनीत किया जाता है, जो सभी छात्राओं को घन्टी लगने पर लाइन से भोजनशाला में ले जाने, कुए पर ले जाने का काम भी देखती हैं। यहाँ के छात्रावास का जीवन पूर्ण स्वावलम्बी जीवन है । घर छोड़ने के पश्चात् छात्राओं को बहुत से काय अपने हाथों से करने पड़ते हैं तथा सभी प्रकार के कार्य करने का अवसर मिलता है। स्वावलम्बन के कार्यों का ब्यौरा इस प्रकार हैं १-अपने स्वयं के कपड़ों की स्वच्छता । २-अपने बर्तन साफ करना। ३-कमरे को साफ-सुथरा रखने की प्रवृत्ति । ४-फटे कपड़े सीना, बटन आदि लगाना । ५-छात्रावास के प्रांगण में श्रमदान करना। ६-रविवार के दिन छात्राओं को कक्षावार भोजशाला में चपाती बनाने के लिए भेजा जाता है, जिससे वे रसोई से सम्बन्धित कार्य भी सीख जाती हैं। प्रतिदिन प्रात:काल व सायंकाल प्रार्थना के बाद उपस्थिति ली जाती है। उपस्थिति के बाद छात्राओं के द्वारा दिनभर में कोई अनुशासनहीनता की हो तो उसके लिए चेतावनी दी जाती है और दण्ड भी दिया जाता है। पूरे छात्रावास की सफाई के लिए दो चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं। ये दोनों औरतें पूरे होस्टल की सफाई करती हैं। वहाँ के हर कमरे में झाड़ और पोचा लगाती हैं । वे ही छात्राओं के लिए पीने के पानी का प्रबन्ध करती हैं। भोजन कक्ष की सफाई का कार्य भी ये ही करती हैं। छोटी बालिकाओं को तैयार करना, स्नान करवाना, उनके बाल बनाना ये सब काम यहाँ की अन्य दो चतुर्थ श्रेणी की औरतें करती हैं। यद्यपि छात्रावास में बिजली व्यवस्था है, मगर कभी-कभी बिजली बन्द हो जाती है, ऐसे समय के लिए छात्रावास में लालटेनों की व्यवस्था है, करीब १५ लालटेन हैं। इस प्रकार उपर्युक्त संक्षिप्त विवरण से अखिल भारतीय जैन महिला शिक्षण संघ व उसकी प्रवृत्तियों के आधार पर संघ का मूल्यांकन कर सकते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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