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कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : द्वितीय खण्ड
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सत्र १९८०-८१ में कन्या विद्यालय में अध्ययनरत छात्राओं की क्रमानुसार संख्या निम्न प्रकार हैकक्षा- १ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ १० योग छात्राएँ-४० ४० ४० ४० ४० २२ १८ १८ १८ १० २८६
गरीब व निर्धन छात्राओं को पाठन शुल्क से पूर्ण और अर्द्ध मुक्ति स्थिति अनुसार दी जाती है। विद्यालय में सांस्कृतिक कार्यक्रम समय-समय पर बड़ी लगन से तैयार कर प्रस्तुत किये जाते हैं। साधु-साध्वियों के चातुर्मास के दौरान प्रति शुरुवार को नैतिक शिक्षा पर आधारित विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं । छात्राओं में नैतिक व आध्यात्मिक जागृति के लिए पाठ्यक्रम के अतिरिक्त तीन दिन तक नैतिक और तीन दिन तक आध्यात्मिक ज्ञान दिया जाता है।
छात्राओं के सिलाई, बुनाई, कढ़ाई और अल्पना (रंगोली) मांडने का कार्य भी सिखाया जाता है। सिलाई के अन्तर्गत ब्लाउज, कुर्ता, पायजामा, जांघिया आदि की कटाई व सिलाई; बुनाई के अन्तर्गत स्वेटर, मौजा, वावासूट, टोपा, फ्राक आदि; कढ़ाई में मेजपोश, तकिया, गिलाफ, मेट्स आदि पर विभिन्न रंगों के टाँके, क्रास स्टिच, चेन स्टिच, साटन स्टिच, लेजी डेजी, बटन हाल स्टिच आदि तथा अल्पना में विभिन्न रंगों में रंगोली सजाने का काम सिखाया जाता है। इनमें सब सामग्री स्वयं छात्राओं को ही लानी होती है और तैयार होने पर वे उन्हें घर ले जाती हैं।
विद्यालय में पुस्तकालय व वाचनालय भी है। पुस्तकालय में लगभग तीन हजार पुस्तकें हैं, और वाचनालय में दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक आदि १७ पत्र-पत्रिकाएँ आती हैं। छात्राओं के खेलकूद की ओर भी ध्यान दिया जाता है और इसके लिए पढ़ाई के अन्त में एक घण्टा अलग से नियत है, जिसमें वे बैडमिन्टन, रिंग, खो-खो, राउन्डर, डाजबाल, थ्रोबाल, लेजिम, डम्बल्स आदि खेल सकती हैं। इनके लिए अलग से मैदान व स्थान नियत है। पी० टी० भी करायी जाती है।
- छात्राओं को शुद्ध दूध मिल सके, इसके लिए एक गौशाला भी है, जिसमें गायें, भैसें व बछड़े आदि हैं। इनकी देखरेख के लिए अलग से व्यक्ति नियत हैं। छात्राओं के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए प्रांगण में ही एक औषधालय है, जहाँ पर निर्धारित समय पर डॉक्टर आते हैं और बीमार छात्राओं की चिकित्सा करते हैं। एक कुआँ और एक बगीची भी है। बगीचे में हरी साग-भाजी बोयी जाती है, जो छात्राओं के भोजन के लिए काम आती है। अखिल भारतीय जैन महिला शिक्षण संघ द्वारा संचालित विभिन्न प्रवृत्तियों के लिए अलग-अलग भवन बने
या कालए अलग-अलग भवन बने हुए हैं; यथा-(१) महावीर कन्या विद्यालय भवन (२) टी० ओकचन्द गादिया बाल निकेतन (३) श्रीमती घीसीबाई डोसी बाल विद्या मन्दिर (४) छात्रावास (४) भोजनालय (६) केन्द्रीय कार्यालय (७) अतिथि भवन (5) औषधालय (९) गौशाला भवन (१०) स्टाफ क्वार्टर्स (११) जैन मन्दिर (१२) लेट्रिनस व बाथरूम ।
भवनों में बिजली की व्यवस्था है। मन्दिर में पूजा-पाठ की सुविधा है। संघ के मुख्य गेट पर चौकीदार हर समय रहता है, उसकी अनुमति के बिना प्रवेश निषेध है।
संघ की परिधि में ही छात्राओं के लिए आवासीय छात्रावास बना हुआ है। इस छात्रावास का नाम श्री जैन बालिका छात्रावास है। इस जैन बालिका छात्रावास का शिलान्यास आषाढ़ शुक्ला १३ वि० सं० २०२४ तदनुसार दिनांक २४ जुलाई, १९६७ को श्रीमान बख्तावरमलजी गुगलिया के कर-कमलों द्वारा हुआ और उसका उद्घाटन आचार्य आनन्द ऋषिजी महाराज के सुश्रावक श्री हस्तीमलजी मुणोत, सिकन्दराबाद ने किया। इसके निर्माण में ५६ हजार रुपये व्यय हुए। यह छात्रावास १० बालिकाओं से शुरू किया गया । वर्तमान में इनकी संख्या ८० है। इस छात्रावास में करीब १५० छात्राएँ रह सकती हैं।
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