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________________ २६६ कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : द्वितीय खण्ड शहीदों का एक सुन्दर स्मारक है, पास में शहीद कुआँ, जिसमें सैकड़ों लोग मशीनगन से मरने के बजाय कूद पड़े थे। थे । सर्वप्रथम रोलेट एक्ट के खिलाफ अप्रेल, १६१६ में स्वतन्त्रता की बिगुल बजी थी। जनरल डायर ने जिस स्थान से मशीनगन चलाई थी, वह निर्दिष्ट स्थान भी बताया गया। शहीदों का एक सुन्दर व भव्य स्मारक बना हुआ है। प्रति वर्ष इसी बाग में शहीद दिवस मनाया जाता है। खून का बदला खून से श्री उधमसिंह ने लिया और उसने ब्रिटिश पालियामेण्ट हाउस में बैठे हुए जनरल डायर को गोली मार कर १६१६ का बदला लिया। तत्पश्चात् उस वीर ने अपने आपको ब्रिटिश सरकार को समर्पित कर दिया । बलिदानों से देश के इतिहास बनते हैं । हम सब शहीदों के प्रति नतमस्तक हैं । गुरुद्वारा सिक्ख मजहब का सबसे प्रमुख तीर्थस्थान है। विशाल प्रांगण में सफेद रंग का भवन बना हुआ है। मध्य में पानी के बीच में तीर्थस्थान है जहाँ 'गुरु ग्रन्थसाहब" रखे जाते हैं । बड़ा पुनीत स्थान है। महाराजा रणजीतसिंह जी ने इस पर सोना चढ़ाया था। उस परिवार में एक दुखभंजन बेल है, जो ५०७ वर्ष पुरानी है। सिक्खों की विनम्र सेवा--दर्शनार्थियों के जूते उठाने-रखने, से अत्यन्त प्रभावित हुए। सिक्ख मजहब मानव सेवा को ही प्रधानता देता है। साध्वीश्री मत्तुजी के नव निर्मित तेरापंथ सभा भवन में दर्शन किये । दि० २३ को उदयपुर के एक जैन समाज के यात्रियों की बस वहाँ आई। वह काश्मीर की ओर जा रही थी। अमृतसर शहर बड़ा सुन्दर लगा। २४ अक्टूबर-राणावास को लौटना प्रात: साध्वीश्री जी से मांगलिक सुना । कार व बसों के दो भिन्न रास्ते कर दिये गये। काकासाहब को लुधियाना जाना आवश्यक था । शेष चार बसें गगानगर, जोधपुर के रास्ते राणावास लौटीं। कार-कार में काकासा, माताजी, मैं व श्री पुखराज जी कटारिया थे। श्री कटारिया जी काकासाहब व संघ के एक निष्ठावान् शान्त कार्यकर्ता हैं और काकसा की सेवा में समर्पित हैं । दिन को ११ बजे पूज्य गुरुदेव के दर्शन किये । दि० २३ को जन्मोत्सव पर संगरूर मर्यादा महोत्सव फरमा दिया था। प्रवचन पण्डाल में श्री रामकुमार जी अग्रवाल (कलकत्ता) और श्री सिद्धराज जी भण्डारी (अहमदाबाद) ने १२०० रुपये प्रतिवर्ष छात्रवृत्ति के रूप में काकासाहब को देने स्वीकार किये और श्री मांगीलाल जी विनायकिया (अहमदाबाद) ने राणावास होस्टल (रामसिंह -गुड़ा) के उद्घाटन की स्वीकृति प्रदान की। दि० २४, रात्रि को करौनी (हरियाणा) वैष्णव मन्दिर में विश्राम किया, दि० २५ को हिसार, राजगढ़, चुरू, रतनगढ़, लाडनूं होते हुए जायल पंचायत समिति भवन में ठहरे । दि० २६ भोर में वृद्ध माताजी श्रीमती सुन्दरबाई सुराणा के अन्धेरे में गिरने से मुंह पर चोट आयी। नाक से रक्त निकला तथा आँख पर भी तनिक चोट आयी। उनका उपचार आगे खेडापा अस्पताल में करवाया। श्रद्धेय काका सा० का हृदय भी द्रवित हुआ। जोधपुर में कार कुछ ठीक करवा दिन को ११ बजे पाली आये। वहां साध्वी श्री कमलाकुमारी जी (उज्जैन) के दर्शन किये। उन्हीं क्षणों में जमीन में दो बार धड़कन आयी। श्री अमरचन्दजी गादिया (ट्रस्टी) तथा राणावास गाँव में दोनों जगह खाना खाकर शाम को ६ बजे राणावास में साध्वी श्री सिरेकुमारीजी के दर्शन किये। बसे-दि० २४ प्रात: अमृतसर से रवाना हो रात्रि को १० बजे गगानगर पहुँची। वहाँ कालेज में विश्राम किया । दि० २५ को डीजल का प्रबन्ध कर सूरतगढ़ होकर बीकानेर का रास्ता लिया। राजस्थान नहर को देखा, जो विश्व की सबसे बड़ी नहर है, थार रेगिस्तान के लिए वरदान है। चारसौ करोड़ रुपये की परिकल्पना है, इससे राजस्थान की काया पलट हो जायेगी। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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