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________________ २५६ कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : द्वितीय खण्ड PRONHSNA राज्य सरकार ने अपने पत्र संख्या जिशि अ०/पाली १७२३-२५ दिनांक २३-८-८० के अन्तर्गत नये नाम को स्वीकार कर लिया। यह नाम १-७-८० से प्रभावी हुआ। नये नाम की स्वीकृति के साथ ही यह विद्यालय एक स्वतन्त्र विद्यालय बन गया अर्थात् श्री सुमति शिक्षा सदन की शाखा के रूप में मान्यता समाप्त हो गयी। कार्यकारिणी यह विद्यालय श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ मानव हितकारी संघ राणावास द्वारा स्थापित व संचालित है। संघ की कार्यकारिणी ही इस संस्था की कार्यकारिणी है। संस्थापक प्रधानाध्यापक श्री विजयसिंह पंवार (निवासी ग्राम शिवनाथपुर, वाया ब्यावर, जिला अजमेर) इस संस्था के संस्थापक थे। इन्होंने लगातार नौ वर्षों तक यहाँ रहकर सेवाकार्य किया। संस्था की स्थापना, प्रगति एवं विकास में इनका सहयोग सराहनीय रहा। १-७-७० से ३०-६-७६ तक नौ वर्षों की सेवा के पश्चात् उन्होंने अपना स्थानान्तरण वापस श्री सुमति शिक्षा सदन राणावास में करवा लिया। अपने सेवाकाल में इन्होंने संस्था की चहुंमुखी प्रगति की। परीक्षा परिणाम, खेल-कूद, अनुशासन आदि क्षेत्रों में विद्यालय के कीर्तिमान स्थापित किये। प्रवेश, पाठ्यक्रम व समय विभाग चक्र __सभी जातियों के छात्रों को बिना किसी ऊँच-नीच की भावना के प्रवेश दिया जाता जाता है। शिक्षा विभाग राजस्थान के पंचांग व पाठ्यक्रमानुसार अध्ययन-अध्यापन होता है। विद्यालय-समय व अवकाश नियम भी राज्य सरकार के नियमानुसार हैं। शुल्क विवरण यह विद्यालय राज्य सरकार द्वारा अनुदान प्राप्त नहीं है। कुल मिलाकर शुल्क की दरें सन्तोषजनक हैं। राज्य सरकार के नियमानुसार पिछड़ी जातियों के छात्रों व निर्धन छात्रों को शुल्क से मुक्ति प्रदान की जाती है। निर्धारित शुल्क तीन किश्तों में प्राप्त किया जाता है। छात्र संख्या विवरण कक्षायें सत्र १९७०-७१ ७१-७२ ७२-७३ ७३-७४ ७४-७५ ७५-७६ ७६-७७ ७७-७८ २५ २२१४ १२८ ७८-७६ ३४ २०१६ १६ १३० ७९-८० ३० ३० २१ १६ १६७ ८०-८१ ७० ६५२५ २१ २० २०१ इस विद्यालय में गुड़ा रामसिंह के अलावा अन्य आस-पास के लगभग १० गाँवों के छात्र अध्ययन करने हेतु आते हैं। ३० २७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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