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आदर्श निकेतन छात्रावास, राणावास
हैं। चतुर्थ श्रेणी का एक कर्मचारी यहाँ हर समय बना रहता है व इन्चार्ज अधीक्षक महोदय भी उसको स्वयं देखने जाते रहते हैं।
छात्रावास में छात्रवृत्तियाँ
छात्रावास में प्राय: समाज के गरीब छात्रों को छात्रवृत्तियाँ भी दी जाती हैं । अर्थात् उनकी पूर्ण भोजन फीस, अर्द्ध भोजन फीस माफ की जाती है। ये छात्रवृत्तियाँ तेरापंथी सभाओं के मान्यता देने पर या विशिष्ट व्यक्तियों के सिफारिश करने पर दी जाती है। गैर समाज के विद्यार्थियों को भी छात्रवृत्तियाँ दी जाती हैं। छात्रवृत्तियाँ गरीब छात्रों को ही देने का प्रावधान है ।
अभिभावकों के ठहरने की व्यवस्था
इतने विशाल छात्रावास होने के नाते यहाँ प्रतिदिन ६-७ अभिभावक आ ही जाते हैं । अभिभावकों के ठहरने के लिए अलग से अतिथिगृह बना हुआ है जहाँ पाँच, छः कमरे हैं । अभिभावकों के खान-पान की व्यवस्था बालकों के भोजनालय में ही होती है । उन्हें भी वही भोजन कराया जाता है, जो छात्रों के लिए बनता है। अतिथिगृह में अतिथियों की सेवा के लिए अलग से दो कर्मचारी नियुक्त हैं । अतिथि के आगमन व गमन का रेकार्ड भी यहाँ अंकित किया जाता है ।
विद्यार्थियों की अर्थ-व्यवस्था का प्रबन्ध
छात्रावास में प्रत्येक विद्यार्थी का भोजन खाता व वैयक्तिक लेन-देन का खाता अलग-अलग है । भोजन खाते में भोजन की फीस जमा की जाती है। दो माह की फीस डिपोजिट रखी जाती है जो सत्र के अन्तिम दो माह के लिए सुरक्षित रहती है। हर माह की पन्द्रह तारीख तक विद्यार्थी के चालू माह की फीस जमा रहनी चाहिए, अन्यथा पाँच पैसा प्रतिदिन के हिसाब से आर्थिक दण्ड लगता है।
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वैयक्तिक लेन-देन के लिए अलग से खाता है । इस खाते से विद्यार्थी को का प्रावधान है। नकदी रुपयों की जरूरत होने पर अधीक्षक महोदय की स्वीकृति लिखित में प्रार्थना-पत्र देना पड़ता है तभी उसके द्वारा इच्छित रुपये प्राप्त हो सकते हैं। नकदी रुपया पैसा नहीं रख सकता है। भोजन फीस व वैयक्तिक लेन-देन के रोकड़ व खातों का निरीक्षण प्रतिदिन संघ के कोषाध्यक्ष करते हैं। इस प्रकार के प्रबन्ध से विद्यार्थियों में मितव्ययिता की आदत पड़ती है। उन्हें पैसा कहाँ और किस प्रकार वर्ष करना चाहिए, की शिक्षा भी बार-बार दी जाती है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम
छात्रावास में सांस्कृतिक कार्यक्रमों को भी कार्यक्रम रखा जाता है। इस कार्यक्रम की तैयारी के विद्यार्थी अपनी तैयारी करते हैं व क्रमशः प्रदर्शन करते हैं ।
आवश्यकता की चीजों को दिलाने लेनी पड़ती है व इसके लिए कोई भी विद्यार्थी अपने पास
अनुशासन व दण्ड
छात्रों के लिए पूर्ण निमन्त्रण में रहने के लिए आदेश निर्देश दिये जाते हैं। अनुशासन में रहने के लिए उन्हें प्रवेश के समय छात्रावास के नियम - उपनियमों से विदित किया जाता है। किसी विद्यार्थी के अनुशासन भंग करने पर उसे चेतावनी दी जाती है। नाना प्रकार से समझाया जाता है। मगर बार-बार अनुशासन भंग करने पर उसे व्यायाम के रूप में सजा दी जाती है। इसके बावजूद भी कोई विद्यार्थी नहीं मानता है तो उसे छात्रावास से पृथक् कर दिया जाता है ।
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विशेष स्थान दिया जाता है । प्रत्येक शनिवार को सामूहिक लिए पहले से ही समय दे दिया जाता है। कमरों के अनुसार
वर्ष में कई जैन पर्व और कई अन्य पर्व आते हैं । उसके लिए बहुत से छात्र स्वयं संगीत, भाषण व नाटक आदि की तैयारी करते हैं । कुछ छात्र अधीक्षक की देखरेख में तैयारी करते हैं । कुछ मेधावी छात्रों को इसके लिए प्रेरित
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