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प्राथमिक माध्यमिक छात्रों का आवास स्थल आदर्श निकेतन छात्रावास, राणावास
0 भेरूलाल बाफणा, गृहपति, राणावास संवत् २००१ में संस्था के आरम्भ के साथ ही सुमति शिक्षा सदन में पढ़ने वाले छात्रों के लिए एक छात्रावास की स्थापना की गई है। प्रारम्भ में यह राणावास स्टेशन पर एक किराये के मकान में चलता था, उस समय इसमें निम्न पाँच गत्र थे
(१) श्री लालचन्द गादिया, निवासी खिवाड़ा (२) श्री वरदीचन्द गादिया, निवासी खिंवाड़ा (३) श्री सुगनराज खटेड़, निवासी खिवाड़ा (४) श्री आसकरण, निवासी जोजावर (५) श्री जुगराज मूथा, निवासी गुड़ा सूरसिंघ ।
धीरे-धीरे छात्रावास में छात्रों की संख्या बढ़ती गई जिससे आवास व्यवस्था की कमी होने लगी। ग्रन्थनायक श्री केसरीमलजी सुराणा के सुदृढ़ प्रयासों से छात्रावास के लिए मलसा बावड़ी ठाकुर श्री खुमाणसिंहजी से बीस बीघा जमीन संवत् २००१ में खरीदी गई व एक विशाल छात्रावास भवन की निर्माण-रेखा खींची गई। काकासा के अथक प्रयासों से मोतीलालजी रांका बगड़ी सज्जनपुर के मार्गदर्शन में ढाई वर्षों में यह विशाल छात्रावास बनकर तैयार हो गया।
छात्रावास का नाम आदर्श निकेतन छात्रावास रखा गया । आदर्श निकेतन से यहाँ के विद्यार्थी आदर्श विद्यार्थी बनकर निकलें, यही नामकरण रहने का एकमात्र उद्देश्य था।
प्रारम्भ में आदर्श निकेतन छात्रावास के लिए एक ही भवन का निर्माण हुआ। यह भव्य भवन वास्तव में राणावास में एक विशेष इमारत है। इसका नक्शा सुन्दर है। इसके सामने छात्रावास के छात्रों के लिए सब्जी पैदा करने का बगीचा है। इसकी आवासीय व्यवस्था बहुत आरामदायक है।
इस भवन में २६ कमरे हैं जिसमें २४ कमरों का नाप २०x१२' है व २ कमरों का नाप २०'४२१' है। एक बड़ा हाल है, जिसका नाप ४०' x २४' है । जहाँ प्रवचन, प्रार्थना आदि कार्यक्रम होते रहते हैं । इसी हॉल के प्रारम्भ में दोनों तरफ दो कमरे हैं जहाँ अधीक्षकों की बैठक है। हाल के अन्दर दोनों साइडों में पुस्तकालय है।
इस भव्य भवन का शिलान्यास संवत् २००५ में अक्षय तृतीया के दिन श्रीमान् जबरमल जी साहब भण्डारी जोधपुर निवासी के कर-कमलों द्वारा हुआ। यथा
शिलान्यास-संवत् २००५ अक्षयतृतीया शिलान्यासकर्ता-श्रीमान् जबरमल जी साहब भंडारी नक्शा निर्देशक-डी० एम० रांका, बगड़ी सज्जनपुर निर्माण संयोजक-श्री मोतीलालजी रांका, सुधरी निर्माण निरीक्षक-श्रीमान् केसरीमलजी सुराणा निर्माणकर्ता-मिस्त्री हजारीलाल कुमावत, पलसाना निर्माण व्यय-१,५२,००० रुपये उद्घाटनकर्ता-समाजभूषण श्रीमान् छोगमल जी चोपड़ा, बी० ए०, बी० एल०; विजय दशमी संवत् २००७
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