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कर्मवीर काका साहब श्री केसरीमलजी संरक्षक संचालक आदर्श निकेतन की विदाई के उपलक्ष में अभिनन्दन पत्र
अभिनन्दनों का आलोक
पूज्यवर !
आपके स्वर्णिम संरक्षण का हम बालकगण को लगभग तेरह वर्षों से जो अपूर्व लाभ मिलता रहा है व जिसके द्वारा हम सबका जो मृदुल मार्गदर्शन होता रहा है वह वर्णनातीत है। आपके महान आदर्शो की हम पर स्थायी छाप पड़ी है और हममें धर्मानुरागिता के अंकुर प्रस्फुटित होने लगे हैं।
त्यागवीर !
आपकी स्यागवृत्ति हमें तो विचित्र सी लगती है जिस संस्थारूपी पौधे को आपने तेरह वर्ष की लम्बी अवधि तक अपने खून और पसीने से सींचा, क्या उसे छिटका देना सर्वसाधारण की शक्ति में हो सकता है ? नहीं, पर आप तो इसको इस तरह त्याग रहे हैं जैसे कि आपका इससे कभी सम्बन्ध ही नहीं रहा । आपकी विदाई की कल्पना से ही हमें रोमांच हो जाता है ।
समाज-सेवक !
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आपने शिक्षण संघ के माध्यम से समाज सेवा का एक अनुकरणीय आदर्श रखा है। आदर्श निकेतन सुमति शिक्षा सदन का आज का विकसित रूप आप ही की देन है। इस प्रकार निःस्वार्थ सेवा देने वाले विरले ही होते हैं । आपकी समाज सेवा चिरस्मरणीय रहेगी और समाज-सेवकों को सदा बल प्रदान करती रहेगी ।
स्पष्टवादी !
स्पष्टवादिता तो आपकी नस-नस में व्याप्त है । 'साफ कहना और सुखी रहना' के आप प्रबल पोषक हैं । आपने लल्लू चप्पू करना तो सीखा ही नहीं । इसी कारण आप हमेशा स्पष्ट रूप से हमारे दोषों को दिखाया करते थे । धन्य है आपके इस अलौकिक गुण को !
धर्मवीर !
आपने जब से व्यवसाय छोड़ा तभी से आप धर्म - साधना में लग गये । सामायिक, पौषध, तपस्या आदि धार्मिक कृत्यों द्वारा अपने आपको काफी हल्का बना लिया है ।
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हम आज आपकी विदाई के अवसर पर बहुत दुःखी हैं। आपका सम्मान करते हुए हम आपसे एक विनय करते हैं। आप अपनी साधना में बाधा न डालते हुए एक बार नित्य यहाँ पदार्पण करें और अपनी अमूल्य हितशिक्षा हमें प्रदान किया करें। हम आपकी साधना की सफलता व दीर्घायु की कामना करते हैं ।
आशा है आप हम बालकों की इच्छा को उसी प्रकार पूर्ण करेंगे जिस प्रकार आज त करते रहे हैं ।
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हम हैं आपके चरणरज
श्री जैन श्वे० ते० छात्रावास के छात्र
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