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कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सराणा अभिनन्दन प्रन्थ: प्रथम खण्ड
कर्मयोगी श्रीयुत केसरीमलजी साहब सुराणा (काका साहब)
७०वें जन्म दिवस पर
सादर समर्पित
मान-पत्र
जीवन है दीपक, और कर्म बाती, साधु-पुरुष औं' गृहस्थ संन्यासी, जन को समर्पित प्राण चेतनमय, काका का जीवन, अहा! वीतरागी!
कर्मयोगी सुराणाजी!
सार्थक जीवन की प्राणवान परिभाषा ! कर्म का एक चेतन मन्दिर !! समाज के कोटि-कोटि प्राण इस चेतन मन्दिर की देहरी पर नत शिर हैं । कर्मठता, परोपकार, संघर्ष, आत्मदृढ़ता आदि सभी पक्ष आप जैसे कर्मयोगी पुरुष की श्वेत चादर के धागों में गुथे हुए हैं । आपके लिए कर्म ही तपस्या है। गरीबी व अशिक्षा जैसे अभिशप्त सामाजिक पक्षों को आपके पारस-धर्मा कर्म ने स्वर्णिम वरदान देकर कर्मयोग को एक अनुकरणीय आयाम प्रदान किया है। साधु-पुरुष !
आचार्य श्री तुलसी ने सुराणाजी के जीवन को “साधु-पुरुष" के विशेषण से विभूषित किया है। आपने संयम, सदाचरण, आत्मचिंतन आदि साधनों से स्वयं को तराशा है। अपने आप में साधु-पुरुष को प्रत्यक्ष कराया है। आपकी सार-ग्राहिणी साधु-वृत्ति से प्रभावित होकर ही समाज ने आपको 'तेरापंथ के गांधी' कहकर सम्मानित किया। अहंकार से दूर आपके त्यागमय व्यक्तित्व-दर्शन में तपोवन की-सी शांति एवं पवित्रता का आह्लाद मिलता है। उत्कट विद्यानुरागी !
शिक्षा भी एक तपस्या है जो मानव-व्यक्तित्व का संवर्द्धन करती है। आपने सम्पूर्ण राणावास को विद्यामन्दिर का वरदान दिया है। शिक्षा-शिक्षक-शिक्षार्थी में समन्वय रहे......"इस त्रिकोण के इर्द-गिर्द चारित्रिक आलोक के वलय प्रदीप्त रहें-यहो आपका सर्वोपरि लक्ष्य रहा है। आप स्वतन्त्र भारत के मदन मोहन मालवीय हैं। शिक्षा के यज्ञ में अपने जीवन की पल-पल की आहुति देने वाले आप विद्यावीर के रूप में अनन्त काल तक यशोदीप्त रहेंगे। गृहस्थ-संन्यासी !
समस्त राजसिक व तामसिक कर्मों को छोड़कर आपने एक गृहस्थ-संन्यासी का आदर्श प्रस्तुत किया है। सात्विक कर्मों से ही आप सद्गृहस्थ हैं और उनमें भी अनासक्त रहने के कारण आप समाज के लिए श्रद्धास्पद हैं । भोग पर योग की विजय इनके गार्हस्थ्य-जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है । संयम, त्याग, सेवाभाव, अनासक्ति, उदारता, परोपकार आदि की 'सीढ़ियाँ' चढ़कर 'हम जिस' घर पहुंच सकते हैं वह घर आप जैसे-एक गृहस्थ-संन्यासी का है। अनुकरणीय विभूति !
आपका व्यक्तित्व समय की शिला पर अमिट हस्ताक्षर बनकर चिरकाल तक रहेगा । आपका व्यक्तित्व 'अमृत
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