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कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : प्रथम खण्ड
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त्यागमूर्ति परम श्रद्धय काका साहब
यह आप ही के त्याग, तपश्चर्या, दृढ़ निश्चय एवं सदप्रयत्नों का फल है कि राणावास की भूमि विद्याभूमि के अलंकार से अलंकृत हुई है । विगत बत्तीस वर्ष से आप निरन्तर अपने रक्त से सींचकर जैन श्वेताम्बर तेरापंथी मानव हितकारी संघ को जो उज्ज्वल एवं सुदृढ़ प्रारूप दे रहे हैं, वहीं जैन समाज एवं शिक्षा जगत को देदीप्यमान नक्षत्र की भाँति दीप्त करता रहा है और भविष्य में भी सदैव करता रहेगा। आपके सुपुष्ट दिग्दर्शन में संघ निरन्तर प्रगति के पथ पर अग्रसर हो रहा है। संघ के विशाल प्रांगण के एक-एक अणु में आपकी ही आत्मा निवास कर रही है।
आपने राणावास में महाविद्यालय की स्थापना कर जो महत्त्वपूर्ण कार्य किया है एवं उच्च शिक्षा के प्रसार में जो योगदान दिया है, उसको कभी नहीं भुलाया जा सकेगा। राणावास में और इसके आसपास के क्षेत्र में उच्च माध्यमिक स्तर के विद्यालय तो अनेक हैं, परन्तु उच्च शिक्षा हेतु महाविद्यालय का अभाव था, जिसकी पूर्ति श्रीमन् आपने ही की है।
आप सदैव संस्था के हित-चिन्तन में चितनशील रहते हैं। समय-समय पर अनेक कष्टों का सामना करते हुए संघ की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाने के लिए अर्थ-संग्रह हेतु सुदूर प्रान्तों में प्रस्थान करते रहते हैं, आज की आपकी शुभ यात्रा भी उसी की एक कड़ी है और आपके इस प्रवास काल के उपलक्ष में यह आयोजन किया गया है। महाविद्यालय परिवार इस अवसर पर आपके श्रीचरणों में रुपये ११५१) की तुच्छ भेंट अगाध विश्वास एवं श्रद्धा के साथ समर्पित कर रहा है। आपके त्याग एवं लगन को देखकर दानवीर समाज-सेवी लाखों रुपये आप पर बरसाते आये हैं, उनकी तुलना में हमारी यह भेंट तुच्छ ही है, परन्तु आप हमारी इस तुच्छ भेंट को हमारी श्रद्धा एवं विश्वास के प्रतीक के रूप में स्वीकार करने की कृपा करें।
हम आपको यह विश्वास दिलाते हैं कि आपके प्रवास काल में महाविद्यालय परिवार आप द्वारा दिग्दर्शित पथ पर अग्रसर होता रहेगा और अपनी व्यवस्था को आपकी आशा के अनुरूप बनाये रखेगा।
महाविद्यालय परिवार आपकी इस शुभ यात्रा के लिए मंगलमय भावनाएँ व्यक्त करता है तथा जिनेश्वर देव से प्रार्थना करता है कि आप, माता जानकी की भाँति सदैव आपका साथ देने वाली आदरणीय माताजी एवं भ्राता लक्ष्मण की भाँति आपको सहयोग देने वाले श्रीमान् पुखराज जी साहब कटारिया स्वस्थ एवं प्रसन्नचित्त रहें तथा सफलता आपका वरण करे।
दिनांक ६-१२-७६
हम हैं आपके चरणानुगामी, महाविद्यालय परिवार के सदस्य
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