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एक इतिहास पुरुष कांठा की धरती के लिये चिरस्मरणीय रहेंगे। आपकी निष्काम सेवा-साधना के सौरभ से सारा लोक-जीवन मुरभित रहेगा। स्वप्न दृष्टा अभिनन्दनीय श्री काकासा को शत्-शत् प्रणाम । वे चिरंजीवी बने और चिदानन्द प्राप्त करें। ग्रन्थ समर्पण के साथ अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशन एवं समारोह महासमिति के सदस्यों की ओर से हादिक मंगल कामनाएँ समर्पित है।
-बी० एल० धाकड़ दिनांक
प्रमुख संयोजक व अध्यक्ष ६ अप्रेल १९८२
कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा सार्वजनिक अभिनन्दन एवं ग्रन्थ प्रकाशन समिति, राणावास
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