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एकनिष्ठ सेवक
→ श्री अगरचन्द नाहटा, बीकानेर
अभी तक राणावास जाने का तो मुझे सुअवसर प्राप्त नहीं हुआ, पर गुराणाजी से मिलने और बात-चीत करने का अवसर अवश्य मिला है। एक बार रेल में कुछ घण्टों को मुसाफिरी साथ ही की थी । वैसे उत्सवों, व्याख्यान आदि में कई बार मिले हैं। उनके संयम और त्यागमय जीवन से प्रभावित हुआ हूँ और उनको एक आदर्श श्रावक मानता हूँ । उनका जीवन सराहनीय एवं अनुकरणीय है । राणावास की संस्था से बहुत से अच्छे-अच्छे व्यक्ति तैयार हुए हैं और हो रहे हैं, पर उनके जैसी संस्था की सेवा निष्ठा व लगन से करने वाले
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श्रद्धेय श्री केसरीमलजी सुराणा इस देश के उन बिरले व्यक्तियों में से हैं, जिन्होंने अपने उत्कट त्याग, मूक सेवाभावना एवं सतत क्रियाशीलता से सारे समाज में सहज ही एक विशिष्ट एवं अविस्मरणीय स्थान बना लिया है। दशाब्दियों पूर्व एक साधारण एवं बिना किसी विशेष शिक्षा प्राप्त व्यक्ति ने, एक छोटे से ग्राम में शिक्षा संस्थान की स्थापना कर, समाज में सुसंस्कारों का बीजारोपण करने व आदर्श व्यक्तियों के निर्माण करने का संकल्प लिया और उसको क्रियान्वित करने का आरम्भ किया । अपनी सहस्रों की सम्पत्ति को उस आहुति में होम कर स्वल्प वस्त्र पहने, जैन श्रावक की सर्वोत्कृष्ट चर्या का निर्वाह करने वाले व्यक्तियों के अनुपम पारखी, वृद्धावस्था में भी व्यवस्थित कार्य करने की तड़फ और नन्हे-मुन्ने देश के भावी कर्णधारों को
नवयुग का भगीरथ
श्री सोहनराज कोठारी, जयपुर
श्रद्धा-सुमन ७६
और कितने तैयार हुए ? यह मैं नहीं कह सकता । वास्तव में उनका अभिनन्दन व्यक्ति का अभिनन्दन नहीं विशिष्ट कार्य का अभिनन्दन है। इसका उद्देश्य तभी सफल हो सकता है, जब इनके जीवन से प्रेरणा लेकर और भी कई लोग सामने आयें, उनके कार्य में हाथ बटावें ।
व्यक्ति तो कोई अमर नहीं रहता, पर उनका कार्य लम्बे समय तक समाज और देश को लाभ पहुँचाता रहता है। श्री केसरीमलजी सुराणा ने ऐसा ही कुछ कर दिखाया है।
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अनुशासन परिधि में अक्षुण्ण रखते, प्रेम और अनुग्रह लुटाते हुए श्री सुराणाजी को देखकर अनायास ही हर व्यक्ति, प्रथम दृष्टि में ही उनके त्याग व निश्छल व्यवहार से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाता ।
युगों-युगों पूर्व महाराज भगीरथ की घोर तपस्या के फलस्वरूप भारत भूमि पर गंगा अवतरित हुई और उससे राष्ट्र की धरती नानाविधि प्रकारों से लाभान्वित हुई व देश की उज्ज्वल सभ्यता व संस्कृति का वह आधार बन गयी, उसी प्रकार का गुरुतर कार्य श्री सुराणाजी ने किया है, जिन्होंने शिक्षा के पिछड़े क्षेत्रों में, आदर्श जीवन का निर्माण करने वाली शिक्षा की महास्रोतस्विनी बहाकर, सहस्रों व्यक्तियों को परिष्कृत जीवन बनाने का वरदान दिया, व इस नवोदित राष्ट्र के अभिनव उत्थान हेतु प्रामाणिक व्यक्तियों का निर्माण किया ।
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