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जोधपुर के जैन वीरों सम्बन्धी ऐतिहासिक काव्य
गीत सिंघवी भीमराज जोधपुर रो थूरं खामा दहूँ राहां दिलेस व्है ताबीन थायौ, मही बेहो डंमरा मिलायौ आसमान । आंबेर ऊथापवा पटेल दलां साज आयो, जोरावर देख मनां अभायो जिहांन ॥ १ ॥ महाबाहु ऊमरा सकज्जां मंत्र धारा मिल, राजा लिखे प्रताप अरज्जां अह रीति । अजीत साहू आगेही जैसींध में ऊबेलियो, यं अर्थही मेल की बिजाई अजीत ।। २ ।। प्रभू चं प्रताप बिजैसाह हिंदवांणा पत्ती, तई बत्ती सुणतां ऊससे सिरताज । कुरम्माण धरती राखिवा तत्ती जैत काज, रंगारूप म दीठो भेजियो भींवराज ॥ ३ ॥ बाजे ढाक वाला सालु महावीर बंका, धैधींग आसंका भुई मंडे सूरधीर । दरौ पारंभ लौधां कूरम्माण बेल आयो, बस नंद रौ दीवांण महावीर ॥ ४ ॥ है खुरां घमस्सां बागी मचीला भूगोल हल्ले, गरो चौतरपफां झल्ले गंण । अठी माधवेस प्रथी जैत आण आवाजियो, महाबाह भीम गाजीयौ भीमेण ॥ ५ ॥ जैणा तसां फिरंगाण तेरे हजार भुवनकी तोप, कड़क्की बीजलां रूद्र तोप प्रलंकाल I ऊजालवा नवां कोटां सताबां हरौल आगे, रालिया जा अराबां ऊपर बाजराज ॥ ६ ॥ मारवाड़ा वीर चौतरफा मार मार मच्चे, तई जंग जोबा भाग खच्चे सपतास । खागां झींक देबा काज भीम मेलिया जोस खाथै, बांकड़ा गनीमां माथै मेलिया ब्रहास ॥ ७ ॥ बीरहाक जोगणी हजारों बागों धारा बागी, चमू गंजा भिड़ज्जां दुसारां चूर चूर । अथागो भारथ सूं दीवाण विजेसाह बालो,
सतारानाथ सूं खाग बागो महासूर ॥ ८ ॥ कुत बाण क्वांग वेधके का वीर केई, लोटणां परव ज्यूं लुटे कई रीठ तेर
धींग ऊपटै केई अथां वगो बिरद्दां धारू,
बागा मारू मारहठी कट्टा जैण बेर ॥ ६ ॥ माण मागां गरद्दा कायरां भाण पाण भागा, भीडे रूकां ऊनागां बीरांण बाण मीठ ।
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