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रयणसेहरीकहा एवं जायसी का पद्मावत
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................................-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.. के पद्मावत का नायक स्वयं चित्तौड़ का राजा है।' चित्तौड़ से दोनों ग्रन्थों के कर्ता परिचित थे। एक ने चित्तौढ़ में रहकर ग्रन्थ रचना की तो दूसरे का नायक ही चित्तौड़ का है।
(३) सिंहल-द्वीप-सिंहल-द्वीप का वर्णन उस समय की लगभग सभी कथाओं में प्राप्त होता है । भारतीय कवियों में ऐसी मान्यता रही है कि समुद्र पार एक द्वीप में अनन्य सौन्दर्य-शालिनी सुन्दरी रहती है । इस मान्यता से जिनहर्षगणि एवं जायसी अछूते नहीं रहे हैं।
रत्नशेखरकथा में मन्त्री द्वारा रत्नवती का पता पूछने पर रत्नदेव यक्ष कहता है कि समुद्र के मध्य ७०० योजन प्रमाण सिंहल-द्वीप है जो अत्यन्त सुन्दर है ।२ जायसी ने सिंहल-द्वीप का बहुत विस्तृत और रोचक वर्णन किया है। उस द्वीप का सौन्दर्य अनुपम है।
(४) अयोध्या-रत्नशेखरकथा में रत्नवती अपना पूर्वभव सुनाती हुई अयोध्या नगरी का उल्लेख करती है। जायसी ने अयोध्या का वर्णन करते हुए कहा है कि इस पद मिनी को विभीषण पायेगा तो ऐसा लगेगा मानों यहाँ अयोध्या पुन: छा गयी है।
इस प्रकार उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है कि रयणसेहरीकहा एवं पद्मावत में समय, कथावस्तु, काव्यात्मक वर्णन, विम्ब-योजना, भौगोलिक, सामाजिक आदि दृष्टियों से बहुत अधिक समानता है। इनके अतिरिक्त भाषा वज्ञानिक दृष्टि से भी इनमें अत्यधिक साम्य है जिस पर अलग से विचार किया जा सकता है।
चूंकि दोनों के समय में अधिक अन्तर नहीं है और रत्नशेखरकथा पद्मावत से पहले लिखी गयी थी अत: यह सम्भावना की जा सकती है कि पद्मावत लिखने से पूर्व जायसी ने यह कथा पढ़ी या सुनी होगी तथा उन्हें इतनी पसन्द आयी होगी कि उन्होंने अपने काव्य के लिए भी इसी कथानक को पसन्द किया। अत: कहा जा सकता है कि पद्मावत का आधार रत्नशेखरकथा है।
१. पद्मावत, २४।२. २. रयणसेहरीकहा, पृ० ६. १. रयणसेहरीकहा, पृ० १३.
३. पद्मावत, २४१२, ९५५-६. ५. पद्मावत, ३६१।३.
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