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नीउपमारधनपतिभीधरा।
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रानभकोमोन रमनिया प्रभावित चरण।
सविभिअंगनारदिक हराया, मादिन्सियलमपिनाशकनमनमशरण करण आधारभवमलयाने एकहारो प्रभू
अञ्चलमाली निर्विकारी रया छो।' प्रलयकालवायुभाखरीने चलाये।
मगि किरा निचित्रचित्रित राजता सिंहासने। सम्यकप्रकार मनामकारे गाणेदार विभाग पणूनिष्प्रकनिकचुला रहे स्थिर (१५॥
भगवान श्रीऋषभदेवस्वामी बनायनमापनि विमलगायोगयो।
Xउदमाचलेनिन अंगमाली भासता कपिजरमते॥
कनकर्मा आदि जितनी कामकाता देख मजनामा दुऊत्यो।
मिबिल पूरायेदरोडा. नयी पालो पण मंकारा पगोकना
महिमामयी। मेलोन्ज न प्रकार जवनी मालदार देखिने।... स्वपरकाशीज्ञान ज्योतीतमास..
प्रति हामीलगाय जानने त्वरित करत निर्भया ॥२९॥ स्तगास्नाभहुंभयोग्यता स्वउपेखिने २॥
स्वान समेाटक मामे जेश जनमरणाचा ज्ञमानजेमजनमानेयस्यामधे। असमर्यकावागराडालना।।१६॥
Xय पो तेम मनुनेगुज-यामर दुलिराचा धनःनिर्लजमममाया गुजाकिंचित्कये।
सदोस्तिप्रकाशीसूर्य तोअस्त याने,
शाश-समन्वनमारिधारतमी परे सुशोभतो। Jआजनिशय-गरिकार्ये आननत्परययो। प्रसेाहनेने मेषमान्त पणा
जातिहर्थतीमुंवर्णव्यो आकाव्य मनमोस्तो ॥३॥ मिठोसनगोआनासमोइननक्षमाच्च रक्षयो।।३॥ क्षेत्र सीमा प्रकाशी सूर्यनीआमा!
शिसमुचल पत्रं त्रय रवितापसर्व निवारता । गुणरत्नमीरियाभमाले कोणगर्णन करि राया।
नुअमीन महिना ओपना नयो जेनी १७n
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मोतियोनीलडोभावेजोऽशोभायाता, असमय सुरगुतापपुणज्ञानगरिमा सूजन
जगत स्वामी नायनी ऐश्वर्यता प्रगानता।
इरेगी ॥ करमान्तजापामोडमनीयसागर आणतो।
Kमतिहार्यचौमुंआदि जिननुमानतुंग बतपता ॥३१॥
मोहमहाअंधकार नाराक प्रभु श्रीआभूरा। निलभुलाओधोतरी मुखवीरीते मागतो।
भदोस्ति अज्ञानवारकभुजकमलकातिनीधरा।।
kीदेवोतणावाचे गंभीरसर मसंगनती। हमपनमारोभक्तिधोउचथयो मुनिनाधनो।
दिशामादिगिननीबसोमया गान तारसपायन गुभोगायधीशक्ति जो सापजी। शामिलतेधन भयोमीरजापरितजा....सभनीजयघोषणा सारततीसरानी मोतिशाजरातिणनात्यांना गोगई।
उपमानछाजें प्रअनंत गुणअघि अदीरानो प्रातराय पंचन सुरो सरेरामा (३२॥ शिशुमचानाने सौरसाने हिम्मतकरीशियथई ।
हलिशमुख चंद्रहारो प्निमयूजनवरतन.. DXमेचवरणी सन्नद्राष्ट्र महापारिजातादिनी। भूत ज्ञानाने मुकाबलेपरिकामपावना भने ।
त्या रातिमाशशिहरअन्नलिरिक्तरोतव्यनिनननादिमेक गिरिउपनेल वृरिवारिभी। भको तभारी स्तवन करना मानगोभिरकरणे पानेलशालित मा ज्यान मेघु नासुकाम
म मीशरणातुशोभती निमपंचागीबाणा खिरी। विसंत तुमभंगरी मुकुरित तणा परतापंथी। मायलटकाकरीजन मतमोजी आवाजयो। कारोकरेजावपि रण सिमशीततामधेका (17SIKातंहायबर सुगंधितममुस्सुजन
ने 13mI भिवचमणपपरामा निबद्ध निकाचित पापना।
मणिरत्नमांज्यभाव्यज्योति प्रकाशमान रहे रहा। तिवत अमित सु-योति सोनिन मामला
कमाचकटको सीमामलिकपपरिणत या क्षणभात्र माशययाय निगलबनकरतांआफ्ना
गोटिसरन शशिसुनिभित तेजशीतत जतिघणो । निशिजगाच्या निमिरनो जिनांमारतीउदययो।
Kng " स्वपर सकाराक जानभानु:आपण मरत्व। अंधकार सविना जगतेन न सोहामा
."""7... हारिवाशिव यादिनमलतोनातेवोKANXN
Mमतमोप्रतिझकजनवरत
ण्य समथन बार नयी कशी लिमयइजाजाभियनी 4
।।31 माटोधयो मेसामRIAरकारमण
शस्त्रास्त्रचमके नीरजनअपदमे उत्साहथी।" हाररारिक देवदयाथीसंतुष्टिपाया प्रेमजलकण्नलिनिन ऊपर पडलामोतोसमा!..
स्वपन बतानारोधनूतत्व कधगो दिमरानतुलना कमाँ वीतरामारसायक देवाय तिनलीगध म्हारा निरसने अणगमा
वीविकट मामिदुर्जेयमापजपलहे। न मानसशभाषाकलनासरलताको।
भलु गुणत-गाटजोनम प्रतेजनाभ भुलाम गुणपरतापथो सुजनगणोनामना
भरणनीआसरोले दुखकदोपणनाव १४३ उत्कृष्ट रचना पति मी आभावशेषमना खरेदी भवभनांतर अन्य निोनुसादीश.शेती सवभावात्रा
सर्व भाषात्पर्शलारो जिनोपदराहियेरे॥३५॥ मोटा मगरमादिम्याव लापरयामा विरोहजारोस्त मसूतापर्णसमाराधना. Bधार भगनानन्याव्या स्वणकमलासबरे नबासिनोमयअनेनानाकोडागवान किरणउषाकालनी पडताकमत निकसितधया!
नियो जन्ममाप्यो अन्यस्त जोतीरत्यक्ष गोवा एली व्यनस्पित सतदेवानकारे । गमग करनालाहगोजाता सरसप्ताTिM
शिविदिशिमाज्याधणानारायर नहानाति न राज एक अतिशा नरवकातितधारना नुनामशरणज्यटन तरल निम्माvिidall पणसूर्य ने उफनावनाची दिशीज समर्याKM.
रागभागनलदरादिना महाविकरालामा म
सीधेशपत्नीपरम गरिमामयधमग निवारती सामुनीजन मुभीमनमोआपने रम्तमानाघरा
समनमा सनौशरणेमे विभूति'विराजत" "47
२१ पारणे विभूति'विराम
मारसहपीडाजीनित पहाना भज्ञानत्मनेशनकारीमानता सूरजला
शनानीपण रिस्राहिभारि प्रतिभाव
आहीशप्रभुपरमाता
, रशनानीपण रिस्रादिभार प्रतिभानवता आपले नाभी मामय मृत्यु नुस्खाया.
भक्तिप्रयोगथी
मदन तुल्यसम्पमान ईजागत रोगयाँumal य नोअन्याभाव पदमार्गपणअनेरी थAMतारागों मीचमकरांनी
तारागो मीचमक परमातुनीशीबराबरीपगहाय वीमा कलमधलीकरना। मिली जनतमारागुण गावाहनिराधम करे।
" करिताकेनकाशनेअंधकार ननित शरी13000चसीजायजयाजोगाने निविडहेलीबंधना।। अनिममनयना दलिने प्ररूपीजा नाममा अध्ययनअनृपआपआर्थियमसरव्य प्रसारमा कारवरना कपले विरेक मग मला
स्वोमनुज मशहारोनाम जाप करे सहा। निरंकअनेकवमन.मामवतुयोग वापत थातऐरावतबहाचा सिनता जानकालपतभयराहतजामको तदा अमलातअप अयश्रीनिन TXएता भयानक स्थान मानव भक्तजननियरहे।
भानमतसिंहदावाजलारिजागकणचारीलणा। बबीमारीबापदायकतम निचलनुदा
संग्रामदारेपनिमारोमोजदरादिना वणकलाकल्याणकर शंकर तम पण
कारगयअपना अम्तमान स्थिर रह॥३0 टकारामारना पग-अष्टप्परकहना। शिवमानाचिनाविभाना सरीरीतेमाप
LXOमोनभस्थलाक्षणमात मानविदारता। लिताथी सरडेल मकान
करता स्तरनआदीरानाभतोबधानभयधयाani लिथी सरडेल मुक्ता भूनिमा विरवरावता। |उतमोहमपुकमजनम कपात्तनपूर्ण आप२५॥Vासवानगपतियुण लोभ
विपित्रजित रणसुमन थी विकरावनीशा मही। जगदनना चिंता निवारक नायलने जाना
आकमननरभरण युगिनीस जेशरणता॥३९॥ अतिपरिचरनानिनरानजाकरठया. सफल भूतल रणजितराजताने जमन । Kाप्रलयवाना प्रेरित अखि माशोलाउडे।
मालतुंगसुभ रचना प्रभावककल प्रहा। त्रिजग ना रेश्मयस्लामीयतनाम
दानामगसर्वस्वभक्षीकहातेधीकुणभिड। जलाशेक्षक भार नारक जनश्रननमन KHAल वारिसीयामलजननिभयर। नमामातानापसप्यपदकनभंगरकहना निशाहाराहत्यमा गुणस्को मानीवस्या Xआदीराजनुना नाममोतमानिशीतलताला॥४.11.
किलरा भिमानीकन यस्मा DXपिक कण्ठ जनो नायकलें फग उडान आवलो!" दिसहसमऽतिसर्षमातिकतदिनीयादिसप्तli उपजाति ,
Kफकारकरतोलात और भयंकणभानतो विमल गुतमारा रामचन्द्रज्योत्स्ना..
णिसहजानंस्वत जिन भक्तिनाआवेशा॥
स्तोत्र भक्तामर लणीगुजरारा मतपय
Xनीस्तोमरक्ततार-चाणररवानाधस्य जनमानाम लोकना। ज्याप्त 12434रगोउचोअगाकरोनितस्दा।
माभ्यासस्सलनाबंधाविनक्षत्म्य/07 निर्माबविचरनाकार अटकावतारा... कालीबा मांबिसुरतजमनियरसर्वत।।
Xम्यूबा अवतीभोजराजमणी
PANनवताता अनेमारकरमसाहचवमाशिभक्तामर गुर्जर भाषाबकायं संपूर्ण विरचित आश्रयस्थल एक आदीशस्वामी । नपा निकसाबबादेराना किरणोआपता।
Kग्राम भामेनरोनासह
चालरिक्तनाहटानादालनमाकाकतानगर, प्रतिसय मत मुमुक्षोनाकर्मदलनेकाप २६
पापा नारि सकतेतविही॥४२॥
स.२.३०मितीमारीकष्णहतियोकजाताई भमेन कल्माणमस्तुदेव गुरुप्रसाद श्री
करारीसका नासुप्रभाasnet Panायावतानाना शरद SHALIमाधादातामा त्रिभुवनस्स
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तिमनावहारीसत्करथीपाप जसंहदराजका दरीतायोजनसहलीसूर्यनासुप्रभाव।
भगवनयापनाराक स्नोन निरनयमाव९॥ त्रिणभुवन नाभूषणसमानायजाप शरमप्रदा। शुगप्रशंसकमत नेवसमान पदातासदा।। पणनमारीकियइच्छन कमसमकक्षता। अनंतगुण ऐश्नयालीआदिनाय जां ?ot निमलोशक संतुगिजंतर टरेअभिरामना। क्षीरसागर नीरामूलपान करिकुलवणभया जतपाजनीनांछाकरेजमा समाचाभय। परमाणुजी उतनराज सकलचउदर राजा वीजनियाकोज शुरूपवान निशसम्म नदीधईबेनोइस्चांदा-श्रीजिनराज नयामले निरक्षरोभष्टयायायमम १२५ सुरनगरमांजदलातमात मुखर नागलोक अनुपम वस्ने सहप्रतियोगिता मानला शाशकलंकिनान मुखमदिवसमा देखग्य। पोतयण पलाश समविहीन जिमतेनाय 3720
अवशष्कार नरहनाभिमानभीकर अन्यदेमामाचगा आसयोममनमरिधा।
बीसबनोभावना बामसालिमार मुखमान॥
नागभनी नरनावनेचसे 1810 प्रथमान्यास स
काच्यं संपूर्ण विरचित,
'श्री भक्तामर गूर्जर भाषाबद्ध काव्यम्'-श्री भंवरलालजी की सूक्ष्न अक्षर लेखन-कला का नमूना
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