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मुनि श्री हजारीमल जी उन साधु-सन्तों की परम्परा में थे कि जिन्होंने भारतवर्ष को हमेशा सही रास्ता दिखाया है । भारतवर्ष की विशेष देन आध्यात्मिक सेवा से ही हो सकती है। और इस बात को हमारे साधु-सन्त समय समय पर बताते रहते हैं । मुझे प्रसन्नता है कि मुनि श्रीहजारीमल जी की स्मृति में एक विशेष ग्रंथ निकाला जा रहा है । मैं इसकी पूर्ण सफलता चाहता हूँ।
Jain Education International
DEPUTY MINISTER
कालूलाल श्रीमाली भूतपूर्व शिक्षामंत्री
INFORMATION & BROADCASTING
INDIA
NEW DELHI
September 27, 1963.
I am glad that you are bringing out a commemorative volume in honour of Muni Shri HazariMalji.
India has always honoured saint-scholars and it is heartening that the tradition continues.
I wish the venture every success.
Sham Nath
यह बड़ी प्रसन्नता की बात है कि एक विद्वान जैन सन्त श्री हजारीमल जी म० की स्मृति में एक विशाल स्मृति-ग्रंथ का प्रकाशन किया जा रहा है. इस माध्यम से हम सन्त जीवन के नजदीक पहुँचते हैं. पवित्र जीवन-व्यवहार को हृदयंगम करते हैं. एक महान् जीवन का स्मरण- चिन्तन करते हैं. इस कार्य से अवश्य ही हमारी आत्मा में उच्च और पवित्र भावनाओं की जागृति होगी. मैं मुनि हजारीमल स्मृतिग्रंथ के प्रकाशन का स्वागत करता हूँ और पूर्ण सफलता की कामना करता हूँ.
पी० एन० सेठ डिप्टी सेक्रेटरी इंडस्ट्रीज, राजस्थान
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