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आचार्यश्री जयमल्लजी म. गृहस्थ-जीवन का रहस्य बताते हुए. पीछे श्रीरायचन्द्रजी महाराज
जो इस सम्प्रदाय के द्वितीय आचार्य हए.
स्वामी श्रीहजारीमलजी महाराज
युवावस्था में.
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