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श्री मधुकरमुनिजी आप स्वामी बीजारीमलजी म० के छोटे गुरुभ्राता और एक प्रकार से इस ग्रंथ के जन्मदाता हैं. प्रथम श्रेणी के विद्वान्, वक्ता और लेखक हैं—-आत्मप्रकाशन से बचने वाले आपका जन्म तिवरी ( मारवाड़) में हुआ. दस वर्ष की वय में संसार से उपराम हो गया. संस्कृत, प्राकृत भाषाओं एवं धर्म और दर्शन के प्रकाण्ड विद्वान् हैं. आपकी अनेक महत्वपूर्ण रचनाएं प्रकाशित हो चुकी है.
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श्री नथमल दूगड़ — दूगड़जी को सेठ- पण्डित कहना चाहिए. गिरधारीलाल अन्नराज जैन पाठशाला से व्याकरण - न्यायतीर्थ, धर्मशास्त्री उपाधियाँ प्राप्त कर आप पैत्रिक व्यवसाय करते हैं. विल्लुपुरम् (मद्रास) में निवास करते हैं. उत्साही सामाजिक कार्यकर्त्ता धर्मप्रेमी और सरल, संयत एवं विनम्र हैं.
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श्री राजकुमार जैन - आप इटारसी ( म०प्र०) के निवासी श्रीमहेन्द्र राजा के अनुज हैं. आयुर्वेदाचार्य होकर आपने अपने पिताजी के पथ का अनुसरण किया है. होनहार विद्वान् व्यवहार एवं लेखक है. आयुर्वेद का आपका अध्ययन उच्चकोटि का है.
श्रीमहेन्द्र 'राजा' - 'राजा' हिन्दीजगत् में सुपरिचित हैं. अनेक कृतियाँ आपकी प्रकाश में आ चुकी हैं. एम. ए. करने के पश्चात् आप लाइब्रेरी साइंस के विशेष अध्ययन के लिए लंदन गए. कई वर्ष वहाँ रहे और आपकी हिन्दी साहित्य सेवा चालू रही. इस समय आप दारेस्लाम (पूर्वी अफ्रीका ) के वि. वि. कालेजलाइब्रेरी में कार्य कर रहे हैं. आपके पिता पं० सुन्दरलालजी वैद्य इटारसी में रहते हैं. आप भारिल परिवार में हैं.
लेखक परिचय ; १११
श्री सुशीलकुमार दिवाकर जन्मस्थान सिवनी (मध्यप्रदेश) इस समय आप राष्ट्रीय प्रवृत्ति को प्रोत्साहन प्रदान करने वाले गोविन्दराम सेक्सरिया अर्थ-वाणिज्य महाविद्यालय जबलपुर में प्राध्यापक हैं. अर्थशास्त्र और कानून आदि विषयों पर अनेक पुस्तकों के लेखक हैं. सिवनी के प्रतिष्ठित दिवाकरपरिवार की संस्कृति के अनुरूप आप भी जैन धर्म और जैन संस्कृति के प्रेमी और सेवक हैं.
श्री श्रीमलजी महाराज — महाराष्ट्र में आपका जन्म हुआ. बाल्यकाल में ही संयमपथ के पथिक बन गए. युग प्रवर्त्तक आचार्य श्री जवाहरलाल जी म० के सुशिष्य हैं. विविध भाषाओं और विषयों के विद्वान् और सुलेखक हैं, प्रभावशाली वक्ता भी आपकी अनेक रचनाएँ प्रकाश में आ चुकी हैं. विद्वानों से प्रेम रखने वाले विचारों की परिधि में घिरे न रहने वाले, मौलिक विचारों के धनी हैं.
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पं० हीरालाल शास्त्री- - जन्मस्थान साढूमल (झांसी) आप जैनसमाज के अग्रगण्य मनीषी विद्वानों में हैं. जैन सिद्धान्त और दर्शनशास्त्र आपके प्रिय विषय हैं. अनेक गंभीर ग्रंथों का अनुवाद, संशोधन, सम्पादन कर चुके हैं. षट्खण्डागम जैसे ग्रंथराज के सम्पादन-संशोधन में आप सहयोगी रहे हैं. वर्तमान में सरस्वती भवन ब्यावर के व्यवस्थापक हैं.
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