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लकीर के फकीर' बनवू अमने बिलकुल पसंद हतुंज नहि, अने अटले ज अमणे सुप्त मानव महेरामणने जागृत करवा अने मानवजीवनर्नु मूल्यांकन समजाववा अप्रतिबद्ध विहार पण करेल । अनेक कष्टो सह्या अने महावीर ना उपदेशनो खूब दृढ़ताथी प्रचार करेल ।"
-मुनि श्री जयन्तविजय ‘मधुकर'
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