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परिषद् : उद्भव, प्रेरणा, प्रगति
हस्ति सी. कर्नावट
श्री राजेन्द्र जैन जगती के प्रेरणामूर्ति आचार्य प्रवर श्रीमद् विजय यतीन्द्रसूरीश्वरजी ने वि० सं० २०१६ को श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद के गठन के शुभ अवसर पर शुभाशीर्वाद देकर न केवल संगठन शक्ति वरन् युवकों में जागृति के लिये एक अपूर्व अवसर प्रदान किया । अथक प्रयत्नों से परिषद ने अखिल भारतीय स्वरूप लेकर देश के विभिन्न राज्यों में युवा उद्गार और राजेन्द्र जैन वाणी को गुंजायमान कर दिया है।
कार्तिक पूर्णिमा की धवल श्वेत चन्द्रिका की पूर्व रात्रि में परिषद् का उद्भव हुआ और दीप ज्योति रूप नवयुवा हृदय में सामाजिक जागृति का प्रज्ज्वलन हुवा। मालव आंचल की डगर-डगर में और धार के कण-कण में परिषद ने प्रगति और संगठन का शंखनाद किया है जिससे नई चेतना और नये आयामों ने जन्म लिया है।
नई पीढ़ी को समुचित सुसंस्कृत बनाने, संगठित कर सामाजिक कुरीतियों को मिटाने व भौतिक, आध्यात्मिक एवं आर्थिक कार्यक्रमों को समयानुकूल संचालित करने के परिषद के प्रयत्न अनवरत चल रहे हैं।
अगर समाज के प्रत्येक युवक को समर्पित भावना से व्यक्तित्व एवं सामाजिक चेतना में अभिवृद्धि करना है तो आइये अखिल भारतीय श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद के सदस्य बनें और सामाजिक मानदण्डों से अपना और परिवार के साथ ही समाज और राष्ट्र का गुणात्मक विकास कर पारस्परिक संबंधों को मधुरतम बनाने के लिये परिषद के चार दिव्य उद्देश्यों को अपनाएं ।
समाज संगठन एवं समाज सुधार हेतु जैन जाग्रति अपनी सौधर्म बृहत्तपागच्छिक परम्पराओं में तो अग्रणी है ही। साथ ही संगठनात्मक अनुशासन और सामाजिक क्रियाशीलता को नई दिशा देने के लिये परिषद् की गतिविधियां धार्मिक पर्व जयंतियों के सोद्देश्य आयोजन तथा बाल और महिला शाखाओं की स्थापना समाज जागृति
की दिशा में अनूठा कदम है। समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने का प्रयास किया जाता है।।
शिक्षा प्रसार के क्षेत्र में धार्मिक, आध्यात्मिक व्यावहारिक, संगीत, सिलाई प्रशिक्षण, स्वाध्याय मण्डल, साहित्य प्रकाशन आदि कार्यक्रम क्रियाशील हैं। इस दिशा में परिषद की शाखाएँ कोई न कोई कार्यक्रम क्रियान्वित कर रही हैं जिससे समाज में एक नई दिशा एवं सामूहिक परस्पर सहयोग की चेतना उभर रही है।
समाज का आर्थिक उत्थान:--इस दिशा में कुछ स्थानों पर बचत बैंक योजना चालू की गई है। इस योजना को अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए एक अलग से केन्द्रीय मंत्री की नियुक्ति निम्बाहेड़ा अधिवेशन में की गई । परिषद् आर्थिक विकास को कितना महत्व देता है यह इस नियुक्ति से स्पष्ट होता है।
परिषद् अधिवेशन मोहनखेडा, रतलाम, खाचरोद, आकोली, श्री मोहनखेडा तीर्थ, जाबरा, लक्ष्मणीजी निम्बाहेड़ा आदि स्थानों पर हुवे । प्रत्येक अधिवेशन के बाद कार्यकर्ताओं में एक नई चेतना नया उत्साह परिषद के उद्देश्यों के प्रति दृढ़ निष्ठा और उसके कार्यक्रमों को पूरा करने की संकल्प भावना बलवती हुई । नित नये स्थानों पर परिषद की शाखाएं खुल रही हैं। सुदूर दक्षिण में परिषद अधिकाधिक लोकप्रिय हो रही है। महिला परिषद् की स्थापना एवं केन्द्रीय कार्यकारिणी में महिला सदस्यों का होना महिला जागरण का प्रतीक है।
युवावस्था चिरस्थाई नहीं है किन्तु विचार शक्ति स्थाई हो सकती है। अतः मानसिक युवा विचार पर परिषद में बल दिया जा रहा है। परिषद नूतन चिंतन और युवा विचार धारा को सामाजिक एवं आध्यात्मिक उत्थान का जीवन दर्शन मानती है हम सबकी सेवा करते हुए स्वकल्याण के पथ पर अग्रसर हों यही परिषद् का उद्देश्य उसका महामंत्र है। आइये। हम अधिक से अधिक संख्या में इसके सदस्य बनकर उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति में सहयोगी बनें।
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राजेन्द्र-ज्योति
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