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विश्व पूज्य प्रभुश्री राजेन्द्र सूरीश्वरेभ्यो नमः
.पा. आ. श्री विद्या चन्द्रसूरीश्वरजी म.का. समाजकेनाम
|| शुभ सन्देश ॥
युग संगठन का है; संप स्नेह और सद्भावना बढ़ने पर ही संगठन हेढ होता है और ऐसा दृढ संगठन ही समाज, संघ और राष्ट्र के लिये आशीर्वाद रुप बन सकता है 1
स्व॰ ५० गुरुदेव श्रीमद् विजय यतीन्द्रसूरीधर जो मासे प्रेरणा पाकर समाज के युवकोंने ऐसा संगटन बनाया जो ० भा० श्रीश जेन्द्र जैन नवयुक्त परिषद् के नाम से सक्रिय हुआ और पू पाठ गुरुदेव श्री से मार्गदर्शन पाकर गतिविधियां संचालित की। मुझे प्रतुलता है कि गुरुकृपा से समाज की यह संस्था अभी स्थिर रह सकी है। समयानुसार उतार चढ़ाव आते ही २हते हैं फिर भी युवा पीढी व युवक विचारधारा के गुरुभक्तोंने इससे स्था के प्रति अपनी निष्ठा कायम रखा है। मै समाज के हव्यक्ति से यही चाहता हैं कि आप तन, मन, धन से समाजकी इस संस्था कोपू रार सहयोग देकर प्रगतिशील बनाने और हर गांव नगर में इसकी शाखाएं स्थापित कर संगठन को दरबनावे!
समस्त गुरुमतांजनों ! धर्मलाभ
परिषद्द्वारा आयोजित किये जा रहे हर सामाजिक एवं धार्मिक कार्यक्रमों में आप सभी का पूरा पूरा योग रहना चाहियो आग ने युवक ही तो भविष्य की आशाएं बने हुए
उनको गतिशील बनाने का काम समाज का है !
きゅう
मैं चाहता हूँ प्रत्येक गांव मे परिषद् के माध्यम से धार्मिक शालाएं, वाचनालय, समय र पर अन्य धार्मिक उत्सवों कोभी
संचालित किया जाय और उस में समाज की ओर से सर्व प्रकार से सहयोग दिया जाया
देश, काल की स्थिति हमें जागृत होने का जोरों से आहवान कर रही हैं, हम जागें और सक्रिय कार्यकर्ता उसबे को पूरा योगदान दें।
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खाचरौदै दि ७।४।७४
विजय पिता चंद्रमोरे का धर्मलान
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राजेन्द्र ज्योति
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