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सस्ता साहित्य मण्डल,
प्रधान कार्यालय एन-७७ कनॉट सर्कस,
नई दिल्ली
दिनांक ४-८-७७ यह जानकर हर्ष हुआ कि आप श्रीमद् विजय राजेन्द्र सूरीश्वरजी के जन्म के डेढ़ सौ वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष में 'राजेन्द्र-ज्योति' नामक ग्रंथ प्रकाशित कर रहे हैं। मैं आपके इस आयोजन का हार्दिक स्वागत करता हूँ और कामना करता है कि ग्रंथ उपयोगी तथा प्रेरणादायक बने ।
मेरी मान्यता है कि वर्तमान समय में जैन-समाज का बड़ा भारी दायित्व है। सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, आदि सिद्धान्तों को जीवन में लाने के लिए आज स्वर्णिम अवसर है। हमारा राष्ट्र अब गांधीजी के सिद्धान्तों पर अपना शासन चलाने के लिए वचनबद्ध है। यदि जैन-समाज अहिंसा आदि सिद्धान्तों पर स्वयं अमल करके उनकी तेजस्विता प्रकट करे तो कोई भी कारण नहीं कि अन्य समाज उससे प्रेरित न हो।
वैयक्तिक और सामाजिक जीवन को शुद्ध तथा प्रबुद्ध करने के लिए श्रद्धेय राजेन्द्र सूरीश्वर महाराज ने बहुत कुछ किया था। हमें उनके कृतित्व का स्मरण करना और उनकी परम्परा को आगे बढ़ाना है।
मैं आशा करता हूं कि आपका ग्रंथ इस दिशा में पाठकों को मूल्यवान सामग्री प्रदान करेगा। मैं आपकी परिषद् की उत्तरोत्तर उन्नति के लिए भी कामना करता हूँ।
-यशपाल जैन
कसरावद, प. निमाड़ -दिनांक ५-७-७७
मुझे पूर्ण आशा है कि इस ग्रंथ से मानव-समाज को एक नई चेतना मिलेगी। पूज्य आचार्य देव श्री राजेन्द्र रिजी ने समाज को क्रान्तिकारी मार्ग दर्शन दिया है।
उक्त ग्रंथ के लिए पूज्य मुनिराज जयन्त विजयजी 'मधुकर' के मार्गदर्शन से और भी विशेषताएँ आयेंगी।
ग्रंथ के लिए शुभ कामनाएँ करते हुए पूज्य आचार्य देव श्रीराजेन्द्र सूरिजी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।
-चांदमल लूणिया
श्री जिनेश्वर भगवान् के प्रसाद से 'राजेन्द्र-ज्योति' नामक ग्रन्थ श्रीमद् विजय राजेन्द्र सूरीश्वर म.सा. की उज्ज्वल कीति के मर्वथा अनुरूप हो, यही मेरी शुभ कामनाएँ हैं।
-मेघराज बेगानी
राजेन्द्र-ज्योति
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