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जैन समाज की दिशा उत्थान या पतन जन समाज द्वारा धार्मिक शिक्षण-व्यवस्था जैन कौन? साधना और सम्यग्दर्शन जैन धर्म का मूलाधार : सम्यग्दर्शन श्री तीर्थकर परमात्माओं की लोकोत्तर चार उपमाएँ तीर्थंकरों के लांछन और शासन देवता महाराष्ट्र की संस्कृति पर जैनियों का प्रभाव जैन कथा साहित्य : एक पर्यवेक्षण जैन विद्वानों द्वारा हिन्दी में रचित कुछ वैद्यक ग्रन्थ जैन धर्म जीवरक्षा : सुष्ठि सन्तुलन के लिए आवश्यक जैन योग : एक चिन्तन अध्यात्म वैभव ललित विस्तारगत वस्तु विचार : तत्कर्तुश्च समासतः परिचय :
सी.बी. भगत सौभाग्यमल जैन सौ. पारसरानी मेहता मुनि अजितकुमारजी डॉ. प्रेमसिंह राठौड़ श्री विजयसुशील सूरि बालचन्द जैन रिषभदास रांका मुनि जयन्त विजय 'मधुकर' आचार्य राजकुमार यशवन्तकुमार नांदेचा हुकमचन्द पारेख देवेन्द्र मुनि शास्त्री मुनि नरेन्द्र विजयजी श्री भद्रंकर सूरि
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पंचम खण्ड : जैन तीर्थ/शिल्प/कथाएं
रेगिस्तान का प्राचीन तीर्थ श्री भांडवाजी चमत्कारों की दुनिया में श्री महरि पार्श्वनाथ तीर्थ क्षेत्र श्री लक्ष्मणीजी सांडेराव के जैन मन्दिर जैसलमेर जैन मन्दिर एवं उनकी कलात्मक समृद्धि चित्र और सम्भूति मुनि
भूरचन्द्र जैन मुनि राजरत्नसागरजी मुनि जयंतविजय 'मधुकर' वैद्य चुन्नीलाल विजयशंकर श्रीवास्तव राजमल लोढ़ा
पष्ठम खण्ड : परिषद्-दर्शन
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श्रीमद् विजययतीन्द्र सूरि प्रदत्त आशीर्वाद श्रीमद्यतीन्द्र सूरीश्वरजी द्वारा प्रदत्त रतलाम अधिवेशन संदेश श्रीमद् यतीन्द्र सूरीश्वरजी द्वारा प्रदत्त शुभ प्रेरणा श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद् रतलाम अधिवेशन संघ प्रमुख श्री विद्याविजयजी द्वारा प्रदत्त खाचरौद अधिवेशन में परिषद् के प्रति
शुभ कामना मेवाड़ प्रान्तीय राजेन्द्र नवयुवक परिषद् तृतीय अधिवेशन संघ प्रमुख विद्याविजयजी द्वारा प्रदत्त संदेश चतुर्थ अधिवेशन विजय विद्याचन्द्र सूरि का शुभ सन्देश अ. भा. राजेन्द्र नवयुवक परिषद् मोहनखेड़ा अधिवेशन विजय विद्याचन्द्र सूरि द्वारा प्रदत्त अधिवेशन संदेश अ. भा. राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद् नवम् अधिवेशन विजय विद्याचन्द्र सूरि का समाज के नाम संदेश विजय विद्याचन्द्र सुरि का परिषद शाखाओं के नाम संदेश विजय विद्या चन्द्र सूरि की नवयुवकों के प्रति शुभ कामना विजय विद्याचन्द्र सूरि द्वारा निम्बाहेड़ा अधिवेशन के प्रति संदेश
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राजेन्द्र-ज्योति
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