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हम परिषद् के वरिष्ठ कार्यकर्ता एवं शाखा परिषद् के उन उत्साही नवयुवकों को भी नहीं भुला सकते, जिन्होंने तन-मन-धन से भरपूर सहयोग देकर हमें अपने लक्ष्य तक पहुँचने में अपना बहुमूल्य सहयोग दिया है।
पूर्वक स्वजन समस्त विनान लेखकों के भी हम अत्यन्त कृताश हैं जिन्होंने हमारे अत्या
उन समस्त विद्वान् लेखकों के भी हम अत्यन्त कृतज्ञ हैं, जिन्होंने हमारे अत्यल्पावधिक निमंत्रण को आत्मीयता पूर्वक स्वीकार कर अपनी मूल्यवान रचनाएँ भेजने की उदारता दिखायी है।
डा. नेमीचन्दजी जैन को हम कभी भी विस्मृत नहीं कर सकेंगे, जिन्होंने श्रीमद् गुरुदेव के प्रति अत्यन्त समर्पित भाव से इस ग्रन्थ की प्रकाशन-व्यवस्था में शब्दातीत कार्य किया है।
बागरा-निवासी भाई बसन्तीलालजी, रतलाम निवासी श्री ओ. सी. जैन, भू. पू. सहा. महामंत्री, एवं स्थानीय शाखा परिषद् के सहयोगियों को भी भूला नहीं जा सकता, जिन्होंने हमारे इस कार्य में यथेच्छ सहयोग दिया है।
आर्थिक दानदाताओं में श्रीसौधर्मबृहत्तपागच्छीय संघ अहमदाबाद, जोधपुर, थराद, तणुकु एवं जैनधर्मानुरागी श्री जैन शिक्षण समिति, मन्दसौर का सहयोग उत्साहवर्द्धक रहा है। शाखा परिषद् एवं अन्य दानदाताओं ने इस पुण्यकार्य में हमें जो सहयोग प्रदान किया है तदर्थ हम उन सबके हृदय से कृतज्ञ हैं।
नई दुनिया प्रेस, इन्दौर के संचालक-मण्डल के प्रबन्धक महोदय श्री हीरालाल झांझरी के भी हम आभारी हैं, जिन्होंने अत्यल्प अवधि में सुरुचिपूर्वक इस ग्रंथ का कलात्मक मुद्रण किया है।
अन्त में हम उन समस्त महानुभावों के प्रति अपना हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं जिन्होंने “श्री राजेन्द्र-ज्योति" के प्रकाशन में प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से हमें अपना मूल्यवान सहयोग दिया है।
अ. भा. श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद्, कार्यालय, रतलाम, मध्यप्रदेश
डा. प्रेमसिंह राठौड़, प्रधान सम्पादक,
कार्तिक शुक्ला १, वि. सं. २०३४, वी. नि. सं. २५०३ खीस्ताब्द १९७७
सहयोगी संपादक सौभाग्यमल सेठिया, भंवरलाल छाजेड़, सुरेन्द्र कुमार लोढ़ा, वी. टी. वजावत
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राजेन्द्र-ज्योति
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