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________________ ४१ ६४ मक्षीजी 'श्री आबूजी' श्री कोरटाजी आदि तीर्थों की और गोड़वाड़ पंचतीर्थों की भी यात्रा की। इस प्रकार इन दस वर्षों में गुरुदेव के साथ रहकर काफी अनुभव और ज्ञान प्राप्त किया। आप जिज्ञासु, विनयी, सुसंस्कृत, प्रतिभासम्पन्न, परिश्रमी और गुरु आज्ञा पालक थे। अतः गरु महाराज की निश्रा में बराबर उनके स्वर्गारोहण काल पर्यन्त बने रहे। गुरुदेव का देहावसान संवत् १९५३ पौष शुक्ला ६ को राजगढ़ में हुआ था। देहावसान के पहले ही मुनिश्री दीपविजयजी और मुनि श्री यतीन्द्रविजयजी ने अभिधान राजेन्द्रकोष के प्रकाशन का भार प्रतिज्ञा पूर्वक उठा लिया था। अभिधान राजेन्द्र कोष सात भागों में विभाजित है और उसके कुल पृष्ठ दस हजार से भी ज्यादा हैं। इस कोष में प्रथम प्राकृत शब्द उसके संस्कृत रूप के साथ दिए हैं और बाद में उनके लिंग और व्युत्पत्ति दिए गए हैं और उनके तमाम अर्थ सप्रयोग आधार, अध्ययन तथा उद्देश्यों के अंकन सहित, आगमों के ग्रंथागारों के उदाहरण सहित दिए हैं तथा व्याख्या भी बड़ी ही कुशलता एवं योग्यतापूर्वक दी गई है। यह ग्रंथ एक प्रकार से जन विश्वकोष ही है ऐसे महाकोष का लेखन जितना कठिन था उतना ही कठिन उसका संपादन और प्रकाशन भी था। इस ग्रंथ को सम्पादित और प्रकाशित कर मुनिश्री दीपविजयजी और मुनि श्री यतीन्द्रविजयजी ने अपनी तत्परतापूर्ण कुशलता और सुयोग्य संपादकत्व का भी परिचय दिया है। ग्रंथ का नाम मुद्रण संवत् पृष्ठांक १. तीन स्तुति की प्राचीनता २. भावना स्वरूप १९६५ ३. गौतमपृच्छा-भावानुवाद १९७१ ४. नाकोडा पार्श्वनाथ १९७१ ५. सत्यबोध भास्कर १९७१ ६. जीवन प्रभा (श्री राजेन्द्रसूरीजी चरित्र) १९७२ ७. गुणानुराग कुलकर भावार्थ १९७४ ८. लघु चाणक्य नीति-अनुवाद १९७६ ९. जन्ममरण सूतक निर्णय १९७८ संक्षिप्त जीवन चरित्र (घनचन्द्रसूरीजी का) १९८० १७३ ११. जीवभेद निरूपण और गौतम कुलक १९८० १२. पीत पट्टाग्रह मीमांसा और निक्षेप निबंध १९८० १३. जिनेन्द्र गुणगान लहरी स्तवनादि १९८० १४. जैनर्षि पट्ट निर्णय १९८१ १५. रत्नाकर पच्चीसी-भावार्थ १९८२ १६. श्री मोहन जीवनादर्श (उपाध्याय श्री मोहनविजय चरित्र) १९८२ १७. अध्ययन चतुष्टय (दशवकालिक के चार अध्ययनों का भावार्थ) १९८२ १८. कुलिंग वदनोद्गार मीमांसा १९८३ १९. अधरकुमार, रत्नसार १९८४ २०. हरिबल धीवर २१. चरित्र संस्कृत २२. आर्हत् प्रवचन (गुजराती) २३. जीवभेद निरूपण २४. और गौतम कुलक (गुजराती) १९२५ २५. श्री यतीन्द्र विहार दिग्दर्शन भाग-१ १९८६ २६. श्री कोरटाजी तीथ का इतिहास १९८७ २७. श्री जगडूशाह चरित्रम् १९८८ २८. श्री कयवन्ना चरित्र १९८८ २९. श्री यतीन्द्रविहार दिग्दर्शन भाग-२ १९८८ ३०. वृहद्विद्वद् गोष्ठी संवधिता १९८९ १३ ३१. चंपकमाला चरित्रम् गद्यम् ३२. श्री राजेन्द्र सूरीश्वर जीवन परिचय १९९० २४ ३३. श्री सिद्धाचल नवाणु प्रकारी पूजा ३४. श्री चतुर्विशति जिन स्तुतिमाला १९९१ ___२४ ३५. श्री यतीन्द्र विहार दिग्दर्शन भाग-३ १९९१ २०८ ३६. श्री राजेन्द्रसूरीश्वर अष्टप्रकारी पूजा १९९१ ३७. श्री यतीन्द्र विहार दिग्दर्शन भाग-४ १९९३ ३८. सविधि स्नात्र पूजा १९९३ ३९. मेरी नेमाड़ यात्रा-ऐतिहासिक ४०. अक्षयनिधि तप विधि तथा श्री षौषधविधि ४१. श्री भाषणसुधा (व्याख्यान संग्रह) १९९९ ४२. श्री यतीन्द्र प्रवचन (हिन्दी) भाग-१ २००० ४३. समाधान प्रदीप (हिन्दी) भाग १ ४४. सूक्तिरसलता-हिन्दी अनुवाद ४५. मेरी गोंडवाड यात्रा २००१ ४६. प्रकरण चतुष्टय २३१ ४७. श्री यतीन्द्र प्रवचन (गुजराती) भाग २ २००५ ४८. श्री विंशति स्थानक पदपत विधि ४९. देवसी पडिक्कमण-हिन्दी शब्दार्थ २००७ १७२ ५०. श्री सत्य समर्थक प्रश्नोत्तरी २००९ ४४ ५१. साध्वी व्याख्यान समीक्षा २०१० २५ ५२. साधु प्रतिक्रमणसूत्र-हिन्दी शब्दार्थ ५३. स्त्री शिक्षा प्रदर्शन (हिन्दी) २०११ ६९ ५४. श्री सत्पुरुषों के लक्षण २०११ ५५. श्री तपः परिमल २०११ ४८ इस प्रकार श्रीमद् ने कुल पचपन ग्रन्थ लिखे, संपादित किये और प्रकाशित भी करवाए। ० ४८ ० For 099 ००.०० ० २००५ ० राजेन-ज्योति Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012039
Book TitleRajendrasuri Janma Sardh Shatabdi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremsinh Rathod
PublisherRajendrasuri Jain Navyuvak Parishad Mohankheda
Publication Year1977
Total Pages638
LanguageHindi, Gujrati, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size38 MB
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