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________________ ४६ | पूज्य प्रवर्तक श्री अम्बालाल जी महाराज-अभिनन्दन ग्रन्थ 000000000000 000000000000 MIAMI Cop यूप्माण Cur... कम Army PARAN ..... EDIA 0 अध्यात्मयोगी श्री पुष्कर मुनि जी उद्देश्य में पूर्ण रूप से सफल भी हुए हैं, उन्होंने मेवाड़ के [ओजस्वी वक्ता, शास्त्रवेत्ता तथा ध्यान-साधना रत ऐसे प्रान्त में जहाँ पर धार्मिक-संस्कार का पूर्ण अभाव था. वरिष्ठ संत] स्वाध्याय किस चिड़िया का नाम है ? यह भी लोग नहीं जानते थे वहाँ पर धामिक पाठशालाएँ स्थापित कर और मुनि प्रवर प्रवर्तक अम्बालाल जी महाराज मेरे स्नेही युवकों में स्वाध्याय की भावना पैदा कर महान क्रान्ति साथी मुनि हैं । वे मेरे साथ लम्बे समय तक रहे हैं, मैं की है। उन्हें आज से नहीं अपितु वर्षों से जानता हूँ-खूब अच्छी यह मेवाड़ का लोकप्रिय महान सन्त युग-युग तक तरह से जानता हूँ । उनका अभिनन्दन ग्रन्थ निकलने जा जीवित रहकर जैन धर्म की दिव्य व भव्य ज्योति को रहा है, यह एक आह्लाद का विषय है। जगाता रहे । उनका शिष्य परिवार भी ज्ञान-दर्शन और __ अभिनन्दन ग्रन्थ उन्हीं व्यक्तियों का निकलता है जिनके चारित्र में निरन्तर प्रगति करता रहे यही मेरी हार्दिक शुभ जीवन में त्याग-वैराग्य की सुमधुर सौरभ होती है, जो कामना है। समाज और राष्ट्र के लिए अपने जीवन का बलिदान देता है। यों तो प्रतिदिन हजारों-लाखों व्यक्ति जन्म लेते हैं और 0 प्रवर्तक श्री सूर्य मुनि जी मरते हैं। उनका जीवन विकार और वासना से राग-द्वेष . से कलुषित होता है। जो जीवन भर अर्धदग्ध कण्डे की [जैन आगमों के गहन अभ्यासी, वक्ता एवं कवि | तरह विकारों का धुंआ छोड़ते हुए जलते रहते हैं, उनका पं० श्री अम्बालाल जी महाराज अपनी दीक्षा-पर्याय अभिनन्दन अथवा स्मृति ग्रन्थ नहीं निकलता। की अर्धशती पूरी कर रहे हैं-यह जानकर प्रसन्नता हुई। आम फलों का राजा है, वह उच्च पदाधिकारी से विशिष्ट चारित्रात्मा सदैव अभिनन्दनीय होते है। आप लेकर गरीब व्यक्ति को प्रिय है । वह अपनी भीनी-भीनी उनका अभिनन्दन कर रहे हैं-यह अच्छी बात है। वे सौरभ और मधुरता से जन-जन के मन को आकर्षित करता अपनी चारित्र पर्याय में लम्बी अवधि तक भव्यात्माओं के है। वैसे ही अम्बालाल जी महाराज धनवान से लेकर अवलम्बन बने रहें और उनकी भक्ति के भाजन बनकर, गरीब सभी को प्रिय हैं। यदि किसी को उनकी लोक चारित्र-निर्माण में असाधारण निमित्त बने–यही शुभ प्रियता प्रत्यक्ष देखनी है तो मेवाड़ के उन नन्हें-नन्हें गांवों कामना है। में जाकर देखें कि एक किसान से लेकर गांव के सेठ तक उनसे किस प्रकार प्यार करते हैं और वे उन्हें किस प्रकार प्रवर्तक श्री विनय ऋषि जी स्नेह प्रदान करते हैं। वहाँ की पारिवारिक, सामाजिक, प्रसिद्ध वक्ता. विचारक तथा योगनिष्ठ श्रमण] धार्मिक आदि समस्याओं को किस प्रकार सुलझाते हैं । वे मेवाड़ के एक लोकप्रिय सन्त हैं, सभी की जबान पर उनका जिस व्यक्ति ने अपने जीवन में स्व-पर कल्याण किया नाम चमक रहा है। उन्होंने मेवाड़ की ग्राम्य-जनता के हो वह व्यक्ति अभिनन्दन के योग्य माना जाता है । हृदय पर शासन किया है। वे मेवाड़ में जहाँ भी जाते हैं प्रवर्तक पं० मुनि श्री अम्बालाल जी महाराज उन वहाँ पर भावक-भक्तों की टोली उस प्रकार आ जाती है व्यक्तियों में से एक हैं। आप शास्त्रज्ञ, सुवक्ता, समाजजैसे कमल की सुगन्ध को लेने के लिए भंवरे आ जाते हैं। हितैषी, कर्मठ-सेवाभावी सन्त हैं । आपने मेवाड़-राजस्थान मैंने उनके अनेक बार प्रवचन सने हैं. उनके प्रवचनों आदि क्षेत्रों में विचरण करके जनता की सामाजिक, धार्मिक, में जोश नहीं है किन्तु होश की मात्रा पर्याप्त है । भाषा का आध्यात्मिक, शैक्षणिक आदि प्रगति करने में अच्छा योग लालित्य व चमत्कार नहीं है, पर भावों का गाम्भीर्य अवश्य दिया है। आप अपनी साधना करते हए धामिक संस्कारों है। तर्क की प्रधानता नहीं किन्तु श्रद्धा की प्रमखता है। वे का सिंचन, प्रचार एवं प्रसार कर रहे हैं । प्रायः राजस्थानी भाषा में आगम पर या उससे सम्बन्धित आपने अपने गुरुवर्यों के साथ राजस्थान, पंजाब, विषयों पर प्रवचन करते हैं । उनके प्रवचन का उद्देश्य है मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र आदि क्षेत्रों में विचरण किया है । जन-जीवन में धार्मिक-भावना जाग्रत करना और वे अपने आपकी दीक्षा के ५० वर्ष पूर्ण हुए हैं । अत: शासन RSA म 圖圖圖圖闖 Jain Education Intamational Berivate Personal use only
SR No.012038
Book TitleAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyamuni
PublisherAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages678
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
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