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________________ १० पूज्य प्रवर्तक श्री अम्बालाल जी महाराज-अभिनन्दन ग्रन्थ : परिशिष्ट 000000000000 ०००००००००००० ATION FASIA RANS AADIVAS श्री सौमाग्य मुनि जी 'कुमुद' का अमिमाषण परम पूज्यनीय श्री मरुधर केसरी जी महाराज साहब, परम पूज्यनीय गुरुदेव श्री अम्बालालजी महाराज साहब, पं० रत्न श्री हीरा मुनिजी महाराज, पं० प्रवर श्री 'कमल' जी महाराज, मधुर वक्ता श्री मूल मुनिजी महाराज, घोर तपस्वी श्री रूप मुनिजी महाराज अन्य साथी मुनिराज, आदरणीय महासती वृन्द, उपस्थित भाइयो और बहनो! आज कोशीथल नगर के इस शानदार प्रांगण में, पूज्य गुरुदेव श्री के अभिनन्दन समारोह को समलंकृत करने हेतु मेवाड़, मारवाड़ और मालवा से उग्र विहार कर पधारे हुए पूज्यनीय मुनिगण और आदरणीय महासती वृन्द का हार्दिक स्वागत करते हुए हम असीम हर्षानन्द का अनुभव कर रहे हैं। सन्त सतीजी ने पधार कर बड़ी कृपा की, हम आपके आभारी हैं। मेवाड़ की श्रद्धालु जनता को आपने दर्शन दिये, यह धरती धन्य हो गई। मेवाड़ धर्म भूमि है, वीर भूमि है, इसके कण-कण में ओज है, तेज है, इस भूमि की मिट्टी वह है जिसने दिल्ली के तख्त से सदियों तक टक्कर ली। मेवाड़ ने राष्ट्र और समाज को अनेक रत्न दिये । यह वीर प्रसूः है। यहाँ कर्मवीर ही नहीं धर्मवीर भी आला दर्जे के हुए हैं। सभी धर्म और सम्प्रदायें मेवाड़ के किसी न किसी महापुरुष से अवश्य गौरवान्वित है। जैन धर्म को ही ले लीजिये, पूज्यश्री रोड़जी स्वामी और मानजी स्वामी पर किस जैन को गर्व नहीं होगा। मेवाड़ का राजस्थान ही नहीं भारत में एक गौरवपूर्ण स्थान है यह गौरव निरन्तर आन बान और शान की रक्षा कर प्राप्त किया है। हमारा इतिहास बताता है कि हम संकटों और विपत्तियों को हँसते हुए सह गये किन्तु हमने अन्याय, अधर्म और चापलूसी के साथ कभी समझौता नहीं किया। आज फिर युग चेतना का आह्वान है कि हमारा समाज पुन: वही तेज लेकर खड़ा हो । हमें किसी पर न हमला करना है और न तलवार ताननी है, हमें उन कुरूढ़ियों का खात्मा करना है, जिनसे समाज ध्वस्त और खोखला होता जा रहा है। तिलक, दहेज और मृत्यु-भोज जैसी अनावश्यक प्रथाओं से समाज को मुक्त करना है । आप यहाँ हजारों की संख्या में उपस्थित हैं यदि आप सभी बड़ी दृढ़ता के साथ कह दें कि हमने इन कुरूढ़ियों का काला मुंह कर दिया है तो, मैं समझता हूँ मेवाड़ में इन बुराइयों को टिकने को कहीं जगह नहीं मिलेगी। बड़ी खुशी की बात है, आप बड़ी दृढ़ता के साथ बुराइयों के विरुद्ध खड़े हो रहे हैं । हम आज जिस महापुरुष का अभिनन्दन कर रहे हैं, इन्होंने हमें यही सिखाया कि हम बुराइयों से लड़ें। इनका स्वयं का जीवन इस विशेषता से ओत-प्रोत है। मैं बहुत बचपन से गुरुदेव के चरणों में पहुंचा । अब तक मैंने इन्हें जिस तरह पाया वह सब कुछ यहां बता दूं ऐसा सम्भव नहीं, किन्तु संक्षिप्त में मैं यह बताना चाहूंगा कि जीवन एक कला है इसे सीखना और पाना होता है। गुरु देव श्री उस कला को पाये और बड़ी सरलता के साथ । त्याग, तप, संयम और शालीनता की प्रतिमूर्ति गुरुदेव लाखों के श्रद्धा केन्द्र हैं यह कहने की आवश्यकता नहीं, प्रत्येक दर्शक इसे यहाँ प्रत्यक्ष देख रहा है। अभिनन्दन समारोह और ग्रन्थ समर्पण की विशाल योजना जब मैंने मेवाड़ की गुरुभक्त जनता के समक्ष रक्खी तो, जनता ने इतने उल्लास के साथ इसे लिया कि मैं स्वयं हर्ष से ओत-प्रोत हो गया। SANARTA . १ मुनि श्री के ओजस्वी आह्वान पर हजारों हाथ खड़े हो गये और कुरुढ़ियों के विरोध में पांडाल गूंज उठा। 43000 Jal Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012038
Book TitleAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyamuni
PublisherAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages678
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
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