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२| पूज्य-प्रवर्तक श्री अम्बालाल जी महाराज-अभिनन्दन ग्रन्थ : परिशिष्ट
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इसी संदर्भ में देलवाड़ा में एक सभा हुई, दूसरी विशाल सभा कांकरोली में सम्पन्न हुई। इसमें कई उपयोगी सुझाव आये और कई सारपूर्ण निर्णय लिये गये । इसी अवसर पर समारोह की अध्यक्षता के लिए सनवाड़ निवासी श्रीमान् ॐकारलाल जी सेठिया का नाम श्रीमान् भूरालाल जी सूर्या ने रक्खा जो सर्व सम्मति से स्वीकृत हुआ।
कुंवारिया में भी एक मीटिंग हुई, जिसमें प्रचार-प्रसार और समाज-सुधार सम्बन्धी विस्तृत विचार चर्चाएं हुईं।
विविध व्यक्तियों से सम्पर्क साधने, पत्र-व्यवहार करने, विविध स्थानों पर भ्रमण करने में श्रीमान् यशवन्तसिंह जी नाहर भीलवाड़ा, श्रीमान् भूरालाल जी सूर्या, कोशीथल, श्रीमान् ओंकारलाल जी सेठिया सनवाड़, श्रीमान् घीसूलाल जी कोठारी कपासन, श्रीमान् मांगीलाल जी कोठारी कांकरोली, श्रीमान् रोशनलाल जी पगारिया कांकरोली, श्रीमान् बसन्तीलाल जी कोठारी कोशीथल, श्रीमान् जालमचन्द जी उदयपुर, श्रीमान् एकलिंगलाल जी वारी, श्रीमान् रणजीतसिंह जी उदयपुर, श्रीमान् हिम्मतलाल हिंगड़ कांकरोली, श्रीमान् मांगीलाल जी पगारिया कांकरोली।
आदि-आदि सज्जनों ने बड़ी सुन्दर सेवाएं दी जो सदा स्मरणीय रहेगी। अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशन समिति
अभिनन्दन समारोह के अवसर पर पूज्य गुरुदेव श्री को एक विशाल अभिनन्दन ग्रंथ भेंट करने का निश्चय आमेट के ऐतिहासिक चातुर्मास में ही कर लिया गया था।
अर्थ संग्रह के लिए, अधिकतर श्री संघों को सदस्य बनाने का निर्णय हुआ। राशि एक हजार एक और पाँच सौ एक, इस तरह दो स्तर पर लेना तय किया । व्यक्तिगत सदस्य बनाने का अधिक लक्ष्य नहीं रहा । प्रतिनिधित्व की दृष्टि से, श्री संघों को प्राथमिकता दी गई।
प्रस्तुत योजना को कार्यान्वित करने के लिए श्रीमान् सोहनलाल जी सूर्या की अध्यक्षता में ग्रन्थ प्रकाशन समिति का गठन किया गया, श्री पन्नालाल जी हिरण मंत्री और श्री शंकरलाल जी सरणोत ने कोषाध्यक्ष पद का दायित्व सँभाला।
श्री सोहनलाल जी सूर्या, श्री पन्नालाल जी हिरण, श्री शंकरलाल जी सरणोत कार्यकर्ताओं की इस त्रिपुटी ने ग्रन्थ के लिए अर्थ संग्रह का कार्य अपने हाथ में लिया और जिस लगन, श्रम और स्नेह से इन्होंने यह कार्य सम्पन्न किया वह सदा स्मरणीय रहेगा। अपने व्यस्त समय में से समय निकाल कर तीनों कार्यकर्ताओं ने जो हार्दिक सेवा दी वह प्रशंसा के योग्य तथा अनुकरणीय है।
ग्रन्थ निर्माण मुनि श्री कुमुद जी के दिशा निर्देश, लेखन सम्पादन में चला और प्रकाशन श्री श्रीचन्द जी सुराणा 'सरस' के निर्देशन में आगरा सम्पन्न हुआ।
मुनिराज महासतियों को आग्रह और पदार्पण । ग्रन्थ प्रकाशन और समारोह के प्रचार-प्रसार के उपरान्त मी समारोह की सर्वाधिक जिम्मेदारी, कोशीथल श्रावक संघ की थी।
संघ ने श्री भूरालाल जी सूर्या की अध्यक्षता में कार्यकारिणी का चुनाव सम्पन्न किया, स्वागताध्यक्ष श्री सोहनलाल जी भटेवरा और मंत्री श्री बसन्तीलाल जी कोठारी मनोनीत किये गये।
श्रावक संघ का एक शिष्टमंडल मेवाड़, मारवाड़, मालवा, अजमेरा में विचरने वाले सभी श्रमण संघीय संत सती जी की सेवा में विनति लेकर पहुंचा, फलस्वरूप कई मुनिराज और महासती जी ने पधारने की स्वीकृति प्रदान की।
कुछ संत सती जी स्वीकृति देने के उपरान्त भी कुछ कारणों से नहीं पधार सके ।
समारोह के अवसर पर निम्नांकित पूज्य मुनिराज और महासती जी ने पधार कर समारोह को समालंकृत किया। 0 परमपूज्य प्रवर्तक मरुधरकेशरी श्री मिश्रीमल जी महाराज एवं घोर तपस्वी श्री रूपचन्द्र जी म० 'रजत' ठा० ६ 0 परमपूज्य प्रवर्तक श्री अम्बालाल जी महाराज, पं० मुनि श्री हीरामुनि जी महाराज, ठा० ७ । पंडितरत्न श्री कन्हैयालाल जी म० 'कमल' ठा० ३ Dपं० रत्न श्री मूल मुनि जी महाराज, ठा० ३
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