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२२४ | पूज्य प्रवर्तक श्री अम्बालाल जी महाराज - अभिनन्दन ग्रन्थ
राजस्थान के रचनात्मक कार्यकर्ताओं में श्री भूरेलाल बया का नाम सदैव आगे रहेगा। उन्होंने नमक सत्याग्रह में भाग लिया और उसके पश्चात् गांधीजी के सान्निध्य में बम्बई में कांग्रेस के कार्यकर्ता रहे। प्रजामण्डल के भागीदार श्री बया आदिवासियों और किसानों के सत्याग्रहों में निरन्तर भाग लेते रहे और आजादी के बाद राजस्थान के दो मन्त्रिमण्डलों में मन्त्री बने ।
मोतीलालजी तेजावत के पुत्र मोहनलालजी तेजावत बयाजी के साथ रहे हैं। श्री रोशनलालजी बोरदिया ने १९३२ के कर-विरोधी आन्दोलन, १६३८ के प्रजामंडल आन्दोलन और १९४२ के भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग लिया तथा उत्तरदायी शासन की मांग को लेकर १९४८ के आन्दोलन में पुलिस की गोली से आहत हुए। उदयपुर के ही श्री चिम्मनलाल बोरदिया ने इन सब आन्दोलनों में भाग लिया ।
कानोड़ के श्री उदयजैन, मेवाड़ प्रजामण्डल के सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में सामन्तशाही से लोहा लेते हुए जनजागरण के कार्य में संलग्न रहे । भारत छोड़ो आन्दोलन में उन्हें जेल की सजा दी गई। मेवाड़ प्रजामण्डल के श्री हीरालाल कोठारी को गांधी जयन्ती का समारोह आयोजित करने पर छह महीनों के लिए नजरबन्द कर दिया गया । नाथद्वारा के श्री कज्जूलाल एवं फूलचन्द पोरवाल को ६-६ महीने नजरबन्द रखा गया । श्री रतनलाल कर्णावट को १३ महीने जेलों में रखा गया। छोटी सादड़ी के श्री पूनमचन्द नाहर को १६३८ एवं १९४२ में आन्दोलनों में भाग लेने पर जेल में रखा गया । श्री सूर्यभानु पोरवाल को भी १६४२ के आन्दोलन के समय नजरबन्द रखा गया ।
बनेड़ा के श्री उमरावसिंह ढाबरिया मेवाड़ प्रजामन्डल के सक्रिय कार्यकर्ता रहे हैं और १९४२ के आन्दोलन में नजरबन्द कर दिये गये थे। आजादी से पहले और आजादी के बाद दर्जनों बार वे जेल भोग आये हैं । समाजवादी दल और राजस्थान विधान सभा के सक्रिय सदस्य के रूप में उन्होंने प्रान्तीय प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार के विरुद्ध जिहाद खड़ा किया था ।
कानोड़ के श्री तख्तसिंह बाबेल, सुखलाल उदावत, माधवलाल नन्दावत, भंवरलाल डूंगरवाल, चांदमल मनावत १९४२ के भारत छोड़ो आन्दोलन और उसके बाद प्रजामंडल के आन्दोलनों तथा कार्यालयों से सम्बद्ध रहे । कुशलगढ़ के श्री डाडमचन्द दोसी, झब्बालाल कावड़िया, उच्छवलाल मेहता, भैरोंलाल तलेसरा, खेमराज श्रीमाल, कन्हैयालाल मेहता, बापूलाल लखावत, कान्तिलाल शाह, पन्नालाल शाह, शान्तिलाल सेठ, गुमानमल लखावत, सुजानमल शाह, किशनलाल दोसी, सौभागमल दोसी आदि प्रजामंडल के प्रमुख कार्यकर्ता थे ।
भीलवाड़ा के श्री मनोहरसिंह मेहता, रोशनलाल चोरड़िया, उदयपुर के हुकमराज मेहता, भगवत भंडारी, चित्तौड़गढ़ के श्री फतहलाल चंडालिया, भीमराज घड़ोलिया, हमीरगढ़ के श्री राजमल बोहरा आदि अनेक लोगों ने आजादी की लड़ाई में अपना-अपना योगदान किया है। श्री यशवन्तसिंह नाहर, श्री सज्जनसिंह नाहर, श्री रिखबचन्द धारीवाल आदि के नाम इस क्षेत्र में उल्लेखनीय हैं ।
प्रशासन
स्वतन्त्रता के पश्चात् राजस्थान में प्रशासन का मार्ग प्रशस्त करने वालों में पद्मश्री भगवतसिंह मेहता का नाम सदैव अग्रगण्य रहेगा। भारतीय विदेश सेवा में श्री के० एल० मेहता, श्री जगत मेहता, डॉ० मोहनसिंह मेहता को नहीं भुलाया जा सकता। यों डॉ० मेहता शिक्षाविद् के रूप में देश में प्रख्यात हैं और राजस्थान विश्वविद्यालय उनके अपने ही सपनों का साकार रूप है । श्री सत्यप्रसन्नसिंह भंडारी, श्री गोकुललाल मेहता, श्री जगन्नाथसिंह मेहता, रणजीत सिंह कुम्मट, अनिल बोरदिया, ओतिमा बोरदिया, मीठालाल मेहता, जसवन्तसिंह सिंघवी, बालूलाल पानगड़िया, हिम्मतसिंह गलूंडिया, साहिबलाल अजमेरा, मनोहरसिंह मोगरा आदि अपने-अपने क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ने वाले अधिकारी हैं । न्यायाधीशों में श्री लहरसिंह मेहता का नाम उल्लेखनीय है ।
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