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१९६ | पूज्य प्रवर्तक श्री अम्बालाल जी महाराज — अभिनन्दन ग्रन्थ
(४) भट्टारक सकलकीर्ति रास - यह भट्टारक सकलकीर्ति के शिष्य ब्रह्म सामल की रचना है जिसमें उन्होंने भट्टारक सकलकीर्ति एवं मट्टारक भुवनकीर्ति का जीवन परिचय दिया है । रचना ऐतिहासिक है ।
(५) अनिरुद्ध हरण - यह रत्नभूषण सूरि की कृति है । अनिरुद्ध श्रीकृष्ण जी के पौत्र थे और इस रास में उन्हीं का जीवन चरित निबद्ध है। भंडार में संवत् १६६६ की पांडुलिपि संग्रहीत है ।
२. अग्रवाल जैन मन्दिर का शास्त्र भंडार
यहाँ भी हस्तलिखित ग्रन्थों का अच्छा संग्रह है । ग्रन्थों एवं संख्या भी उल्लेखनीय है । भंडार में पूज्यपाद कृत सर्वार्थसिद्धि की सबसे यह ग्रन्थ योगिनीपुर ( देहली) में लिखा गया था । कुछ उल्लेखनीय ग्रन्थों के नाम निम्न प्रकार हैं-
ग्रन्थ नाम
ग्रन्थकर्ता
१
चारुदत्त प्रबन्ध
२ सुदर्शन सेठनी चौपई
जीवंधर चरित
४
अजितनाथ रास अम्बिकारास
५
६ पुण्य स्तव कथा कोश
७
शब्द भेद प्रकाश
कल्याण कीर्ति लालकवि
दौलतराम कासलीवाल ब्रह्मयजिनराय
31
सुमति कीर्ति
३. खंडेलवाल जैन मन्दिर का शास्त्र भंडार
गुटकों की संख्यायें ३८८ है जिनमें गुटकों की प्राचीन पांडुलिपि है जो संवत् १३७० की है ।
भाषा
हिन्दी
33
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33
"1
संस्कृत
33
रामचन्द्र
संवत् १५६० संवत् १५५७
महेश्वर कवि
संवत् १५५७ वर्षे आषाढ़ बदी १४ दिने लिखितं श्री मूलसंधे मट्टारक श्री ज्ञानभूषण गुरूपदेशात् हुबडं जातीय श्रेष्ठि जइता भार्या पाँच प्रर्भा श्री धर्मार्ण
।
८ धर्म परीक्षा रास
हिन्दी
संवत् १६४८
रचनाकाल
संवत् १६६२
संवत् १६३६
संवत् १८०५
१५वीं शताब्दी
खंडेलवाल जैन मन्दिर मंडी की नाल में स्थित है। इस मन्दिर में १८५ पांडुलिपियों का संग्रह है । सबसे प्राचीन पांडुलिपि भूपाल स्तवन की है जिसका लेखन काल संवत् १३६३ का है। यहाँ रास, पूजा, स्तोत्र आदि पर पांडुलिपियों का अच्छा संग्रह है । इनमें राजसुन्दर कृत गजसिंह चौपाई (रचना काल सं० १४९७) रामरास माधवदास विरचित, चम्पावती शील कल्याणक । मुनि राजनन्द तथा कमल विजय का कृत "सीमंधर स्तवन" के नाम उल्लेखनीय हैं । यह संवत् १६८२ की रचना है ।
४. गौड़ी जी का उपासरा, उदयपुर
इस उपासरे में हस्तलिखित ग्रन्थों का अच्छा संग्रह है, जिनकी संख्या ६२५ है । सभी ग्रन्थ आगम, आयुर्वेद, ज्योतिष जैसे विषयों पर आधारित है ।
५. यती बालचन्द वैद्य का संग्रह, चित्तौड़
श्रीबालचन्द्र वैद्य के निजी संग्रह में शास्त्रों का उत्तम संग्रह है । ग्रन्थों की कुल संख्या एक हजार है। इनमें मंत्र शास्त्र, स्तोत्र, आयुर्वेद, ज्योतिष, आगम से सम्बद्ध विषयों पर अच्छा संग्रह है । यह शास्त्र भंडार संवत् १९४१ में पंडित विनयचन्द्र द्वारा स्थापित किया गया था। जिसकी प्रशस्ति निम्न प्रकार है
श्री सद्गुरुगोतमः उपाध्याय जी महाराज श्री १००८ श्री शिवचन्द जी तत् शिष्य १००८ ज्ञानविलाश जी तत् शिष्य अमोलखचन्द जी शिष्य पं० विनयचन्द जी माह मध्ये संवत् १९४१ में स्थापित हस्तलिखित ग्रन्थों की सूची । भट्टारक यशः कीर्ति जैन सरस्वती भवन, रिषभदेव
रिषभदेव मेवाड़ का प्रसिद्ध जैन तीर्थ है। उदयपुर से अहमदाबाद जाने वाले राष्ट्रीय मार्ग पर यह अवस्थित
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