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द्वितीय खण्ड
मेवाड़ और उसके दमकते होरे १. मेवाड़ : एक भौगोलिक विशेषण
-डा. बसन्तसिंह २. मेवाड़ की लोक-संस्कृति में धार्मिकता के स्वर -डा. महेन्द्र भानावत ३. वीरों, सन्तों और भक्तों की भूमि-मेवाड़
-श्री हीरा मुनि 'हिमकर' ४. मेवाड़ में जैन धर्म की प्राचीनता
-रामवल्लभ सोमानी ५. मेवाड़ और जैन धर्म
-श्री बलवन्तसिंह मेहता ६. मेवाड़ राज्य की रक्षा में जैनियों का योगदान -डा० देव कोठारी
परम्परा का इतिहास ७. मेवाड़ सम्प्रदाय के ज्योतिर्मय नक्षत्र
-श्री सौभाग्य मुनि 'कुमुद' १ घोर तपस्वी पूज्य श्री रोड़ जी स्वामी १२६ २ आचार्य प्रवर श्री नृसिंहदास जी महाराज १३८ ३ पूज्य आचार्य श्री मानजी स्वामी
१४४ ४ तपस्वीराज श्री सूरजमल जी महाराज १५१ ५ कविराज श्री रिषमदास जी महाराज ६ श्री बालकृष्ण जी महाराज ७ कलाकार श्री गुलाबचन्द्र जी महाराज ८ आत्मार्थी श्री वेणीचन्द जी महाराज . आचार्य श्री एकलिंगदास जी महाराज १० पूज्य श्री मोतीलाल जी महाराज ११ परमश्रद्धेय श्री जोधराज जी महाराज १२ सरल हृदय श्री भारमल जी महाराज १८१ १३ परम श्रद्धेय श्री मांगीलाल जी महाराज १४ मेवाड-सम्प्रदाय की साध्वी परम्परा . १८७
१५ प्रवर्तिनी श्री सरूपां जी और उनका परिवार १६० ८. जैन साहित्य और संस्कृति की भूमि : मेवाड़ -डा० कस्तूरचन्द कासलीवाल ६. मेवाड़ का प्राकृत, संस्कृत एवं अपभ्रंश साहित्य -डॉ० प्रेम सुमन जैन १०. प्राचीन भारतीय मूर्तिकला को मेवाड़ की देन -डा० रत्नचन्द्र अग्रवाल ११. मेवाड़ का एक जैन भील नेता : मोतीलाल तेजावत -श्री शोभालाल गुप्त १२. मेवाड़ में वीरवाल प्रवृत्ति
-श्री नाथूलाल चण्डालिया १३. स्वतन्त्रता संग्राम में मेवाड़ के जैनियों का योगदान -डा० भंवर सुराणा
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तृतीय खण्ड
जैन तत्त्व विद्या आत्मतत्त्व : एक विवेचन -डा० हुकुमचन्द संगवे कर्म-सिद्धान्त : मनन और मीमांसा
-साध्वी श्री संघमित्रा लेश्या : एक विवेचन
-डा० महावीर राज गेलड़ा गुणस्थान-विश्लेषण -श्री हिम्मतसिंह सरूपरिया
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