________________
000000000000
*
oooooooooooo
4000DEFEED
श्री मधुकर मुनि जी
[ बहुश्रुत विद्वान अनेक पुस्तकों के लेखक संस्कृत- प्राकृत आदि भाषाविज्ञ ]
श्री अम्बालाल जी महाराज साहिब
अं तरंग
बा लकवत
ला भ
जिनका
अति
सदा देते
लक्ष्य बना कर
जी वन-यश-सौरभ
हृदय,
शुद्ध ।
फक
शुभग,
शुद्ध ॥
सतत,
म हक
रहा
सर्वत्र |
हा स्य मधुर जिनका वदन, राजित शोभित
अत्र ॥
ज न प्रिय वह मेवाड़ के,
सा धक
'अम्ब' |
सच्चे हि त वह भूषण जगत के, बने सदा
अविलम्ब ||
-
मे दपाटस्य देशस्य, योहि नेता जन-प्रियः । अम्बालाल मुनिर्जीयात्, सहि सर्वत्र भारते ॥
जस्सत्थि जीवणं सुद्धं । वाणी जस्सत्थि सोहिया ॥ अम्बालाल मुणी सो कस्स णत्थि सुवल्लहो ||
wwwwwww.jainendrary.org