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कामाठीपुरा में मंदिर की भव्य प्रतिष्ठोत्सव
एवं गोरेगांव में एतिहासिक चातुर्मास
बम्बई में भव्य गुरु मुर्ति प्रतिष्ठा महोत्सव मई माह का अन्तिम सप्ताह
मुनिराज द्रय की शुभ निश्रा में १४ जून सन् १९९० को भव्य प्रतिष्ठा कार्यक्रम होना है! इस कार्यक्रम को सफळ बनाने हेतु मुनि श्री अविराम गति से विहार कर रहे है।
मुनिराज द्रय के यहाँ पधारने पर शानदार सामैया कर मंगल प्रवेश कराया गया। २६ मई १९९० को प्रवेश हुआ धर्मशाला में मांगलिक सुनाकर संक्षिप्त उद्बोधन दिया। अपने प्रवचन में मुनिराज श्री लोकेन्द्र विजयजी म.सा. ने फरमाया कि "राजेन्द्र नाम में वह अलौकिक शक्ति विद्यमान है, कि जिससे असंभव कार्य भी संभव हो जाते है।"
गुरू मुर्ति प्रतिष्ठा महोत्सव के लिये विशाल मंडप बनाया गया था! सारे पंडाल को रंगीन बल्बों से सजाया गया था। आठवी गली कामाठीपुरा बम्बई का तो वातावरण ही बदल गया था। ज्येष्ठ सुदी १४ दिनांक ७ जून १९९० गुरुवार को महोत्सवका मंगल कार्यक्रम शुरू हुआ।
आषाढ वदी २ दिनांक १० जून १९९० को अतिशय महिमावंत प्रभावशाली श्री पार्श्व पद्मावती महापूजन का भव्य आयोजन रखा गया। यह महापूजन बम्बई महानगर में सर्व प्रथम बार हो रही थी। समग्र जैन समाज यह महापूजन देखने के लिये उत्सुक था। बम्बई के सुप्रसिद्ध शंखेश्वर मित्र मंडल और प्रदीप ठाकुर ने श्री पार्श्व प्रभु और श्री पद्मावती माताजी के भक्ति गीतों से उपस्थित जन समुदाय को भाव विभोर किया।
भव्य रथ यात्रा का आयोजन आषाढ वदी ५ बुधवार दिनांक १३ जून १९९० को किया गया। राजस्थानी ढोल वादन और जनता बॅण्ड की सुमधुर धुनों के साथ रथ यात्रा शुरु हुई। इस गुरु मुर्ति प्रतिष्ठा रथ यात्रा में करीब १० हजार व्यक्तियों ने सोल्लास भाव से भाग लिया।
आषाढ वदी ६ गुरूवार दिनांक १४ जून १९९० को "ॐ पुण्याहं पुण्याह" "प्रियन्ताम-प्रियन्ताम" के उदघोष के साथ गुरू मुर्ति की प्रतिष्ठा की गई। उस दिन का वातवरण व उत्साह उमंग का ठाठ देखते बनता था। गुरुमुर्ति प्रतिष्ठा का तो वर्णन करना मानो "सुर्य को दीपक" दिखाना है।
महोत्सव में किशोर मनराजा, बलवन्त ठाकुर एण्ड पार्टी प्रदीप ठाकुर एण्ड पार्टी और अन्य स्थानों से आये बालक बालिका मण्डल ने विविध प्रकार के कार्यक्रम प्रस्तुत किये जिसे सभी देखनेवालों ने मुक्त कण्ठ से सराहना की व उपहार देकर प्रोत्साहित किया। नवकारसी का आयोजन का ठाठ तो नीराला ही था। उसमें राजेन्द्र जैन मण्डल ने सहयोग देकर उचित व्यवस्था कर सराहनिय कार्य किया।
इस अवसर पर साध्वी श्री पुष्पाश्रीजी और साध्वी श्री महेन्द्रश्रीजी आदि ठाणा १४ भी उपस्थित थी।
मुनि श्री ने गुरू मुर्ति प्रतिष्ठा महोत्सव सम्पन्न कराने के पश्चात भायखला अरविन्द कुंज होते हुए दादर पधारे दादर में स्थित श्री ब्राह्मण सेवा मण्डल में आषाढ सुदी ३ सोमवार दिनांक २५ जून १९९० को विराट श्री पार्श्व पद्मावती महापूजन का आयोजन कीया गया था। मुनि श्री की शुभनिश्रा में महापूजन पढाई गई। इस महापूजन के दौरान दो महिलाओं के शरीर में माताजी के पवन का संचार हुआ! यह महापूजन का प्रत्यक्ष चमत्कार है।
यहाँ का कार्यक्रम सानन्द सोल्लास सम्पन्न कर बम्बई के उपनगरों में अनेक विध जिन
जहां प्रेम, करुणा, वात्सल्य और साधुत्व है उसी की जय होगी।
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