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कर्जत में अस्पताल का उद्घाटन
शीवाजीनगर पूणे में कार्यक्रम सानन्द सम्पन्न करके मुनिराजद्वय साध्वी समुदाय के साथ विहार करके चाकण गांव पधारे। दिनांक ९ मई १९९० को मुंडारा निवासी शाह श्री खुबीलालजी बदनमलजी की ओर से श्री पार्श्व पद्मावती महापूजन का भव्य आयोजन चाकण गांव में किया गया। चाकण गांव की फेक्ट्री के विशाल प्रांगण में विशेष सजावट के साथ मंडप तैयार किया गया। इस लाल रंग के विशेष मंडप में श्री पार्श्व पद्मावती महापूजन की महिमा द्विगुणित हो उठी।
यह आयोजन चल ही रहा था, कि पानी की बौछारें शुरु हो गई। इस बरसते पानी के मौसम में भी महापूजन का कार्यक्रम चलता ही रहा।
यहाँ का कार्यक्रम सानन्द सम्पन्न करके मुनिश्री उल्लासपूर्ण वातावरण में कर्जत नगर पधारे। कर्जत में नव निर्मित रत्नराज नर्सिंग होम (अस्पताल) में दादा गुरुदेव प. पू. श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की गुरुमूर्ति की प्रतिष्ठा का कार्यक्रम था। इस नर्सिंग होम के निर्माता और इस समारोह के आयोजक शा. डा. प्रेमचन्द वस्तीमलजी थे। दादा गुरुदेव की अनन्य श्रद्धा भक्ति के स्वरुप इनके द्वारा निर्मित नूतन अस्पताल का नाम गुरुदेवश्री के जन्मनाम 'रत्नराज' रखा गया।
इस नर्संग होम में दादा गरुदेव की गुरुमुर्ति की प्रतिष्ठा जेष्ठ वदी ८ संवत् २०४७ दिनांक १८ मई १९९० शुक्रवार को निश्चीत की गई। इस दिन दादा गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. प्रतिमा एक आकर्षक सुसज्जित जीप में रखकर शानदार रथयात्रा निकाली गई। यह रथयात्रा नगर के प्रमुख मार्गो से होती हुई नव निर्मित 'रत्नराज' नर्सग होम में पहुँच कर प्रतिष्ठा कार्यक्रम के रुप में परिवर्तित हुई। गगनभेदी जय घोष के साथ शुभ समय में दादागुरुदेव की मुर्ति की प्रतिष्ठा की गई। प्रतिष्ठा के पश्चात सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुनिश्री लोकेन्द्र विजयजी म.सा. ने जनसभा को संबोधित करते हुए दादा गुरुदेव के जीवन पर संक्षिप्त व्याख्या की और उनके द्वारा किये गये कार्यों का गुण गान किया।
सभा के मध्य रत्नराज नर्सिंग होम के निर्माता डा. प्रेमचन्द वस्तीमलजी का स्वागत किया गया और उन्हे साफा पहना कर सम्मान किया गया।
प्रतिष्ठा का कार्यक्रम पूर्ण होने के पश्चात दोपहर में अतिशय महिमावन्त श्री पार्श्व पद्मावती महापूजन पढाई गई। शाम को स्वामीवात्सल्य रखा गया।
यहाँ पर कार्यक्रम सानन्द करके मुनिराज श्री लेखेन्द्रशेखरविजयजी मुनिराज श्री लोकेन्द्रविजयजी एवं साध्वी श्री पुष्पा श्री जी आदि ठाणा ७ बम्बई की ओर विहार किया।
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कर्तव्य के प्रति निष्ठा जहां दृढ होती हैं, वहां मन में उत्साह की औट में नैराश्य आता ही नहीं है।
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