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प्रत्येक प्राणी का चाहे वह किसी भी जाति, वर्ण या देश का ही सम्मान करते है, उसे अपने जैसा ही समझते है, उनके सुख-दुख को अपना सुख दुख समझते है। उनका हृदय और हमारा हृदय एक हो जाता है सारी दूरियाँ तिरोहित हो जाती है। क्षमा के आगमन के साथ ही हमारा पूरा जीवन ही धन्य हो उठता है मधुर हो उठता है। तब "जीओ और जीने दो' हमारा जीवन मंत्र हो जाता है हम परस्पर सहयोग देते है और एक दूसरे के लिये कल्याण कामना करते है।
क्षमा एक राम बाण औषधी
ज्यादा आवश्यकता है क्योंकि संस्कृतियाँ है और आये दिन कोई भी प्रान्त इनसे अछूता
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आज हमारे देश में राष्ट्रीय और भावनात्मक एकता की सबसे हमारे देशमें अनेक धर्म और सम्प्रदाय है, जातियाँ है भाषाएँ है, इन्हे लेकर परस्पर कलह, संघर्ष, खुन खराबी होती रहती है। नही है। कभी कभी तो ये झगड़े इतने उग्र रुप धारण कर लेते है की उन्हें मिटाना बडा मुश्किल हो जाता है यदि परस्पर संघर्ष का यही दौर चलता रहेगा तो देश को भविष्य में एक सार्व भीम सत्ता के रूप में टिके रहना मुश्किल हो जाएगा। अतः देश की एकता के लिये और व उज्ज्वल भविष्य के लिये भारत के प्रत्येक नागरिक का यह सर्व प्रथम कर्तव्य है कि वह अधिक सहनशील बने, संयम से काम ले सहिष्णुता पूर्ण व्यवहार करें और इसके लिये एक ही रामबाण दवा है "क्षमाशीलता" यही क्षमा भावना हमें एक दूसरे से जोड़ देगी हमारे हृदयों को परस्पर एक कर देगी और हम विश्वास के साथ भगवान महावीर की वाणीमें कह सकेगें
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खामेमि सव्वे जीवा, सव्वे जीवा खमन्सुमे । मिती मे सव्वे भूएतु बेर मज्झं न केणई ॥
(मैं सभी से क्षमा याचना करता हूँ सभी मुझे क्षमा करें। मेरी सभी प्राणियों से मित्रता है, किसी से भी मेरा वैर नही।
• ज्ञान विज्ञान और अतुल शक्ति का स्वामी कहलाने वाला रावण जिस समय शुभ कर्मों के उदयकाल में था, उस समय कैलाश जैसे महान् गिरीराज को उठा लिया था इन्द्र के सम्पूर्ण शस्त्रों को भी नाकामयाब कर दिया, इन्द्र को रावण के चरणों में मस्तक झुकाना पडा वायु, अग्नि,
वरुण और अन्यान्य ग्रह भी रावण के दासानुदास बन गये।
ध्यान की मस्ती जगत के सर्वश्रेष्ठ सुख से, सौदर्य से और मजा मौज से विशिष्ठ व अलौकिक होती है।
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