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अपराध एवं उपकार की आध्यात्मिक समझ से तनावमुक्ति
डॉ. पारसमल अग्रवाल....
प्रोफेसर, भौतिक विज्ञान विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन (म.प्र.)
१. समस्या के प्रकार
रहने पर आपको उपकारी होने का प्रमाणपत्र देती, वह बुद्धि कभी आप किसी के उपकारी बनते हैं किन्तु जिसका
अब आपको उसकी मृत्यु होने पर अपराधी होने का एहसास
करा रही है। आप अपनी नजरों में अपराधी हैं या उपकारी? क्या उपकार आपने किया है, वह आपको अपराधी मानता है। उसकी यह मान्यता आपके तनाव का कारण बन सकती है।
उसकी मृत्यु के कारणों की आप जाँच करा सकेंगे? एक शिक्षक ने उपकार की भावना से पड़ौसी के आग्रह
ऐसी घटना अपने वालों के साथ भी घट सकती है। कभी एवं निवेदन को स्वीकार करके उसके बच्चे को कई महीनों तक
शादी हेतु लड़के/लड़की के चयन में भी आपका योगदान होता निःशुल्क पढ़ाया। परीक्षा के एक माह पूर्व उस बच्चे ने पड़ौसी
है व वह शादी दुःखद शादी बन सकती है। स्वयं के लिए या शिक्षक को छोड़कर किसी अन्य शिक्षक के घर पर ट्यूशन
पुत्र, पुत्री, बहन, मित्र के लिए वर-वधू का चयन, व्यवसाय का पढ़ना प्रारंभ किया। बालक द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण हुआ। पड़ौसी
निर्धारण, नौकरी के लिए किसी सिफारिश, बच्चे की पढ़ाई, रोगी
की देखभाल आदि कार्यों में ही नहीं अपितु स्थान-स्थान पर शिक्षक मानता है कि बालक इतना कमजोर था, फिर भी उसके पढ़ाने से वह उत्तीर्ण होने योग्य बन गया। बालक मानता है कि
हमारे जीवन में ऐसे प्रसंग आते हैं, जहाँ हमारी गाड़ी कई बार पड़ौसी शिक्षक ने उसका समय व्यर्थ गँवाया। दूसरे शिक्षक की
हमारी इच्छा के विपरीत घूम जाती है। तब हम अपनी तुच्छ बुद्धि ट्यूशन वह यदि शुरू से ही कर लेता, तो प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण
के अनुसार किसी को अपराधी व किसी के अपराधी मानकर होता। कौन सही है? पड़ौसी शिक्षक उपकारी है या अपराधी?
तनाव आमंत्रित करते रहते हैं। कुछ तनाव अल्पकालीन होते हैं, कौन न्याय करे? कैसे न्याय करे? क्या भविष्य में वह शिक्षक
तो कुछ तनाव इतने दीर्घकालीन हो जाते हैं कि किसी को
डिप्रेशन तक की स्थिति आ जाती है। इस तरह से किसी का उपकार करना बंद कर दे?
इसी प्रकार यह भी संभव है कि कोई आप पर उपकार २. अनेक पक्षों की यथार्थ समझ करे किन्तु आपको लगे कि उसने अपराध किया है। आपका उक्त स्थिति में अध्यात्म के मूलभूत सिद्धान्त बहुत उपयोगी यह भाव भी आपके तनाव का कारण बन सकता है।
सिद्ध हो सकते हैं। आगे बढ़ने के पूर्व यह सावधानी रखनी होगी एक अन्य संभावना पर भी विचार करते हैं। सडक पर कि कई घटनाएँ ऐसी होती हैं, जहाँ अपराधी एवं उपकारी का एक्सीडेंट से बेहोश एक अज्ञात व्यक्ति को आप अस्पताल निर्णय करना निर्णायक के उद्देश्य पर निर्भर करता है। दंगे में एक पहुँचाते हैं। एक दूसरा व्यक्ति भी यही सेवाकार्य करना चाहता व्यक्ति का इकलौता बच्चा मारा जाता है। वह बदले की भावना था किन्तु आपने आग्रह करके यह सेवाकार्य करने का जिम्मा से हत्यारे की तलाश कर रहा है। क्या साम्प्रदायिक विद्वेष या अपने ऊपर लिया। आप अस्पताल में उसकी सेवा-शुश्रूषा राजनीतिक अराजकता या कमजोर प्रशासन आदि भी जिम्मेदार करते हैं व जेब से अपना रुपया भी खर्च करते हैं किन्त उसकी नहीं है? गाँधीजी ऐसे बदले की भावना से दुःखी पिता को मत्य हो जाती है। उसकी मृत्य से आपको उलझन पैदा हो जाती उसकी तलाश में यह सुझाव देकर मदद करते हैं कि वह उसी है। आप सोचते हैं कि आप या अन्य व्यक्ति किसी अधिक बडे दंगे के किसी अनाथ बच्चे को अपना बच्चा मानकर पाले। अस्पताल में बड़े डॉक्टर के पास ले गए होते. तो शायद इसकी गाँधीजी की यह सलाह उसके बच्चे के अपराधी की तलाश का मृत्यु नहीं होती। आपकी स्वयं की वह बुद्धि, जो उसके जीवित उत्तर किसी अपेक्षा से है भी व किसी अपेक्षा से नहीं भी। उनके
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