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________________ सन्दर्भ यतीन्द्रसूरी स्मारक ग्रन्थ - जैन साधना एवं आचारसारणी-६ : विभिन्न मंत्रों की साधकता का तुलनात्मक विवरण अ. फल णमोकार मंत्र ओम्यंत्र गायत्रीमंत्र त्रिशरण वर्ण । १. जैन, प्रकाशचन्द्र : जैन शास्त्रों में मंत्रवाद, ज.मो.ला. शास्त्री साधुवाद ग्रन्थ, प्राकृत अंग्रेजी मंत्र रीवा, १९८९ पृष्ठ १९८ १. शांति, शक्ति, सामर्थ्य ११ - १ २. सर्वशक्ति ७ २. शास्त्री, नेमचन्द्र : णमोकार मंत्र, एक अनुशीलन, भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली ८ - १९६७ पृ.८-१२ ३. सिद्धि, संतान ३. शास्त्री, गोविंद : मंत्रदर्शन, सर्वार्थसिद्धि प्रकाशन, दिल्ली, १९८० ४, मंगल साधक ५. लक्ष्मी, कल्याण ४. सरस्वती, ब्रह्मानन्द : नादयोग,आनन्द-आश्रम,मुनरो, अमरीका, १९८९ . ६. विघ्न/विपत्तिनिवारक ३ ५.------- : गायत्री चालीसा, शांतिकुंज, हरिद्वार, १९९० ७. सर्वसिद्धि/साधक ४ ६. मुनि, सुशील : सांग आफ दी सोल,सिद्धाचलम् पब्लिशर्स, ब्लेयर्स टाउन, ८. आत्म सिद्धि/शक्ति २ अमरीका, १९८७ ९. शक्ति वृद्धि/सर्वशक्ति २ ७.------- : योग विद्या, बिहार योग विद्यालय, मुगेर, १९८२-८३ के १०. शति/सिद्धि अनेक अंक ११. निश्चल १ ६ - ८. जैन, मू. शांता : लेश्या और मनो विज्ञान, जैन विश्वभारती, लाडनूं, १९९६ १२. शक्ति संचार/अद्भुतशक्ति २- १ ९. जैन, एन.एल. : ग्लासरी आव जैन टर्स, जैन इन्टरनेशनल, अहमदाबाद, १३. धन, आशा ३ ८ १९९५ १४. मृदशक्तिसहयोगी १ २ - १ २ १५. शक्ति विध्वंश १६. स्तम्भन योग ३ ५२ २ ५१ - ४५/४७ ३४५ ३७/५७ के मंत्राक्षर ३५ ब. विराधक फल क NH १. अनुदान २. अशांति ३. विघटन ४, शांतिविरोधी ५. अल्पशक्ति ६. खण्डशक्ति ७. सात्विक विरोधी ८. निरर्थक योग Fr - - - ३ - ५१-७-०४ ५१-२३= २८ ४७-७= ४०५७ - ९= ४८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012036
Book TitleYatindrasuri Diksha Shatabdi Samrak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinprabhvijay
PublisherSaudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
Publication Year1997
Total Pages1228
LanguageHindi, English, Gujarati
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size68 MB
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