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डॉ. महेन्द्र भानावत
352, श्रीकृष्णपुरा, उदयपुर -313001 (राज.)
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सन्देश
सादर वन्दना,
यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई कि श्रीमद् यतीन्द्रसूरिजी महाराज की दीक्षा शताब्दी के उपलक्ष्य में उनकी स्मृति में अक्षुण्ण बनाए रखने के लि स्मृति ग्रंथ का प्रकाशन किया जा रहा है।
श्रीमद् यतीन्द्रसूरिजी बहुमुखी प्रतिभा के प्रज्ञा पुरुष थे, जिन्होंने धर्म और अध्यात्म के क्षेत्र में ही नहीं अपितु शिक्षा तथा समाज हिताकरिणी कई प्रवृत्तियों के संचालन की प्रेरणा दी। उनके सान्निध्य एवं दिशानिर्देश में कई धार्मिक तीर्थों की उद्धार एवं संरक्षण हुआ। जैन विद्या विषयक महत्वपूर्ण ग्रंथों का प्रकाशन हुआ और लोक जीवन प्रतिभा का यथोचित पोषण, परख और सझात के सुकृत्य संपादित किए गए।
जैनचेतना को मुखरित करने एवं प्रभावी नाने के लिए यतीन्द्रसूरिजी महाराज के प्रयत्न अनुकरणीय एवं आदर्शोन्मुखी रहे। आपके व्यारयानों तथा उपदेशों से प्रभावित होकर जैनेतर समाज के कई लोग जैन संस्कृति, आचरण और सहकार की भावना की ओर उन्मुख हुए।
आशा है, उनके स्मारक ग्रंथ में उनके समग्र व्यक्तित्व तथा कृतित्व पक्ष का पूरा मूल्यांकन होगा साथ ही जो देन उन्होंने दी उसका सम्यक प्रकारेण विश्लेषण होगा ताकि भावी पीढ़ी उससे प्रेरित तथा प्रभावित हो अपना जीवन सार्थक कर सके। इन्हीं शुभकामनाओं के साथ
विनीत डॉ. महेन्द्र भानावत
प्रति,
ज्योतिषाचार्य मुनि श्री जयप्रभविजयजी 'श्रमण' श्री मोहनखेड़ा तीर्थ प्रधान सम्पादक
श्री यतीन्द्रसूरि दीक्षा शताब्दी स्मारक ग्रंथ NENENENENERENERBRBRBRENER४RENINENENENER2 (11) 8888N8RENERENESENBNBRUARNERBENENESERENM
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