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________________ G ऊँ अर्ह नमः परम पूज्य व्याख्यान वाचस्पतिसाहित्याचार्य ॐ शत्रुजयावतार मालव भुमि का सिद्धाचल श्री मोहनखेड़ा तीर्थ उद्धारक आचार्य देव श्रीमद्विजय यतीन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. दीक्षा शताब्दी वर्ष (१६५४-२०५४) श्रीमद यतीन्द सूरि स्मारक ग्रन्थ प्रकाशन की स्वर्णीम स्मृति में वन्दन वन्दन वन्दन आप प्रत्येक संस्था एवं कार्यो में उल्हास पूर्ण भाग लेते हैं एवं धर्मकार्य में सदा व्यय कर पुण्योपार्जन समय समय पर करते ही है। बाफणा मूथा कपूरचन्दजी के पुत्र जसरूपजी जीतमलजी के वंशजों द्वारा की गई धर्म प्रभावना सं १६५५ फागुन वदी ५ को राजस्थान में प्रथम बार भव्याति भव्य महोत्सव कर ६५१ जिन प्रतिमाजी की प्राण प्रतिष्ठा परम पूज्य प्रभु श्रीमद विजय राजेन्द्र सूरीश्वरजी म. के शुभ कर | कमलों से की गई, एवं फले चुनड़ी में उस समय ५० हजार मानव वेदनि उपस्थित थी। आहोर के ५२ जिनालय में ४ देहरी बनाई, १६६६ में गुरू मन्दिर में मूर्ति - भराई सं. २०३३ में मोहनखेड़ा में खाद मुहूर्त किया मोहनखेड़ा में श्री राजेन्द्र सूरी जैनाश्रम का मुख्य द्वार पर नाम लिखाया। २०२५ आहोर गुरू मन्दिर का आगे सभा मण्डप बनवाया। मोहनखेडा तीर्थ गम्भारे में प्रतिमाजी भराकर विराजमान की। पालीताणा में आचार्य श्रीमद यतीन्द्रसूरिजी म. की मूर्ति भराकर राजेन्द्र भवन में विराजमान की। श्री मोहनखेड़ा में प्रतिष्ठा महोत्सव में १० जिन प्रतिमा भराई। तनकू प्रतिष्ठा में लापसी का एवं ध्वजा का चढावा बोलकर लाभ लिया। मोहनखेड़ा पालीताणा तनक आदि नगरों में समय समय पर नवकारसी या नास्ता आदि का लाभ लेते रहे। आहोर से राणकपुर व मोहनखेड़ा बसों से संग आहोर में शताब्दी महोत्सव में 3 रोज आंगी भक्ति की एवं ५२ जिनालय में सभी भगवान की देहरियों में । सूरत से पछवाया भरवाकर अपर्ण कीया। आज भी जसरूपजी जीतमल के वंशज धर्म कार्य में समय समय पर लक्ष्मी का उपयोग करते रहते हैं। वंश में श्री जीतमलजी, शांतिलालजी, हस्तिमलजी, भवरलाल, पारसमल, जयंतिलाल, सुमेरमल, विमलचन्द, रमेश कुमार, चम्पालाल, आदि। आहोर निवासी जसरूपजी जीतमलजी के वंशज श्री शान्तिलालजी धर्मपत्नी अ.सौ.श्रीमती सुखिबाई का दसवां (१०) वार्षितप सानन्द सम्पन्न हुआ, आप के ३ पुत्र हैं। महावीर कुमार, धरणेन्द्र कुमार, यतीन्द्र कुमार, एक पुत्री है। चि. विद्यादेवी पौत्र श्रेयस, अजीत, श्रेणिक, पक्षाल, अनन्त, हेमलता, हीना, अनिता, प्रीति फर्म :- सेठ शान्तिलाल एण्ड कम्पनी तनकू (आन्ध्र प्रदेश) Forporate & Prisone on
SR No.012036
Book TitleYatindrasuri Diksha Shatabdi Samrak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinprabhvijay
PublisherSaudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
Publication Year1997
Total Pages1228
LanguageHindi, English, Gujarati
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size68 MB
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