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________________ १. २. ३. ४. ५. ६. ७. ८. ९. १०. परमपूज्य व्याख्यानवाचस्पतिश्रुताचार्यभट्टारक आगमदिवाकर आचार्यदेव श्री श्री श्री १००८ श्रीमद्विजययतीन्द्रसूरीश्वरजी महाराज के शुभ करकमलों द्वारा प्रदत्त-दीक्षा एवं बड़ी दीक्षा की स्वर्णिम नामावली > १९७५ १९७७ १९८० १९८० १९८१ १९८१ १९८३ १९८४ १९८८ १९९२ ११. १९९३ १२. १९९५ १९७९ १९९५ १९९९ Jain Education International - फाल्गुन सुदि ३ को श्री रामचन्द्र जी की धर्मपत्नी श्रीमती केसरबाई को विधि सह दीक्षा देकर साध्वी चमन श्री जी नाम घोषित किया वैशाख सुदि २ को श्राविका भलीबाई को भव्य समारोह में दीक्षा देकर साध्वी पुण्यश्री जी नाम घोषित किया मार्गशीर्ष ५ को राजगढ़ मध्यभारत निवासी जवेर चन्दजी को भागवती दीक्षा अठ्ठाई-महोत्सवपूर्वक दीक्षा देकर मुनिराज श्री सागरानन्द विजयजी नाम देकर अपना शिष्य बनाया । माघ सुदि ५ को श्रीसंघ के अत्याग्रह से मुनिराज वल्लभविजयजी मुनिराज श्री विद्याविजयजी को बड़ी बाग में दीक्षा दी। रिंगनोद मध्यप्रदेश निवासी रणीबाई को दीक्षा चैत्र सुदि ३ देकर साध्वी विमल श्री नाम दिया कार्तिक सुदि ५ को मुनिराज श्री सागरानन्द विजयजी को बड़ी दीक्षा एक महीने में योगोद्वन करवाकर बड़ी दीक्षा दी। देकर मुनिराज श्री विद्याजयजी नामकरण किया मगसर सुदि १२ को श्राविका श्रीमती मिश्रीबाई को दीक्षा प्रदान कर साध्वी जी लावण्य श्री जी नाम दिया। मुनि लावण्य विजयजी मुनिरंग विजयजी आदि ७ मुनिराजों को बड़ी दिक्षा दि। GramEntrambi omówim विजापुर For Private Personal Use Only भेंसवाडा रतलाम रतलाम रिंगनोद (धार) माघ सुदि ६ को श्राविका जम्मूबाई एवं मिश्रीबाई को दीक्षा देकर क्रमश: साध्वी चेतन श्री जी साध्वी चतुर श्री जी नाम दिया। फाल्गुन वदि ५ को रूपीबाई को दीक्षा देकर साध्वी शान्तिश्री जी नाम दिया। द्वितीय आषाढ़ वदि १३ सोमवार को नाडोलनिवासी श्री मोतीलालजी जैन को दीक्षा देकर मुनि श्री उत्तमविजयजी नाम दिया। माघ सुदि १५ को कुक्षी (मध्यप्रदेश) निवासी चि. लीला बहिन को परमपूज्य आचार्य देव श्रीमद्विजयभूपेन्द्रसूरिजी म. की निश्रा में परमपूज्य उपाध्याय भगवन् मुनिराज श्री यतीन्द्रविजयजी म. ने दीक्षा के क्रियाविधान सह साध्वी मुक्तिश्री जी नाम घोषित किया। मार्गशीर्ष १० को मुनिराज श्री प्रेमविजयजी को दीक्षा दी। कुक्षी आषाढ़ सुदि ११ शुक्रवार को कन्हैयालाल जी को दीक्षा देकर मुनिराज न्यायविजयजी नाम दिया कुक्षी डुडसी माघ सुदि १० को जोधपुरनिवासी प्रभु लाल को भव्य अठाई महोत्सव करके जावरा में दीक्षा जावरा बाग सियाणा आहोर आहोर अहमदाबाद आकोली सियाणा www.jainelibrary.org
SR No.012036
Book TitleYatindrasuri Diksha Shatabdi Samrak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinprabhvijay
PublisherSaudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
Publication Year1997
Total Pages1228
LanguageHindi, English, Gujarati
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size68 MB
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