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शत-शत अभिनन्दन
C. साध्वी मनोहर कंवर
परम सौभाग्य की बात है कि हमारे श्रमणसंघीय उ. प्र. शासनसेवी पूज्य स्वामी स्व. श्री श्री १००८ श्री ब्रजलालजी म. सा. बहश्रत पण्डितरत्न स्व. यूवाचार्य श्री श्री १००८ श्री मिश्रीमल जी म. सा. की अन्तेवासिनी सुशिष्या महासती उमरावकुंवरजी 'अर्चना' म. सा. के आध्यात्मिक जीवन के सम्मानार्थ जो अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशित किया जा रहा है, वह जैनसमाज के लिए ही नहीं अपितु प्रत्येक विकासशील समाज के लिए गौरव का प्रतीक है।
'अर्चनाजी' की साधना और सेवा ऐसी उच्च है जिस पर कोई भी समाज गर्व कर सकता है। आपके जीवन का प्रत्येक पृष्ठ उतना उज्ज्वल है कि जो भी व्यक्ति आपके सम्पर्क में प्राता है आपके प्रति श्रद्धा से विनत हो उठता है। ___आप बोलते हैं तो मुस्कराते हुए ही बोलते हैं। आपके सामने आने वाला व्यक्ति भले ही क्रूर हो किन्तु अापके प्रवचन सुनते ही वह क्रूरता छोड़कर कोमल माखन की तरह बन जाता है । आपने अल्प समय में प्रागमों और अन्य ग्रन्थों का सम्पादन किया है और नवीन ज्ञान प्राप्ति में सतत यत्नशील रहती हैं। आप रत्नत्रय में अभिवृद्धि करते रहें और अपने विशुद्ध संयम जीवन से जनमानस को प्रभावित करते रहें यही मेरी शुभकामना है ।
इस अवसर पर मैं आपका हार्दिक अभिनन्दन करती हुई वीर प्रभु तथा पूज्य गुरुदेव शासनसेवी स्वर्गीय स्वामीजी श्री श्री ब्रजलाल जी म. सा., बहुश्रुत पण्डितरत्न आगम महारथी स्वर्गीय यूवाचार्य श्री श्री मिश्रीमलजी म. सा. (मधुकर) से यही कामना करती हैं कि आप अर्चनाजी म. सा. को आध्यात्मिकता का अमृत रस पान कराते हुए अमरत्व की ओर निरन्तर बढ़ते रहें।
'सजग प्रहरी हो शासन के तुम
स्वीकृत हो विधिवत् वंदन हषित मन से हम सब करते
आज आपका अभिनन्दन ।
नाम-स्मरण की महिमा
रामजीवन मिर्धा, कुचेरा
मृदुभाषी, सरलहृदया महासती श्री उमरावकं करजी म. सा. के दर्शन करने की बारबार इच्छा होती है। आपकी अमृतवाणी सुनने को सदैव लालसा बनी रहती है। ग्राप परमदयालु और कृपालु हैं। आपकी सेवा में आने पर प्रशांत मन भी शांति का अनुभव करने लगता है। मेरा व्यक्तिगत अनुभव यह है कि जब-जब भी मैं बेचैनी का अनुभव करता हूँ
आई घड़ी अभिनंदन की चरण कमल के वंदन की
प्रथम खण्ड/ ३१
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