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॥अहम॥ ||णमो तस्स समणस्स भगवओ महावीरस्स|| जयतु धर्भशासनम्॥
सफलम भवतु जीवनम् ।। बहुत पंडित रत्न, प्रबुद्ध, ज्ञानयोगी, परमाराध्य, युधायाः एचर भी मिलोसल जी म. सा. “मधुकर फी ओर से सानुग्रह अपनी अलेवासिनी परम-विधी साध्वी श्री उमरावकुंवरजी म. सा. अर्चना के जन्मदिवस की स्थानिक लापर
(ग) शुभाशीःAla
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सत्कामना / :वदापना - । परम्परोपमा जो ... निमय सुदीर्घञ्च , ज्ञान-विज्ञान - भूषितम् । भवन्तु यो निष्णात -भुमराव स्व जीवनम् ।। साधना व शुक्षा, स्वानुभूति परायशः । साधयेदात्मलस्यं स्य, निर्मलादध्यात्म योगिनी।।
जन्म सब लेते हैं, भ संसार में आते हैं, पर जन्म लेना उनका साकि है, जो मानव जीवन की महता तथा पा देयता को समझकर जीवन के ऐसा मोड़ देते है, जो गनजन के लिये प्रेरणा मय संबल बन जाता है। __"मुझे यह प्रकट हुए ढार्दिक परिव और हर्ष का अनुभव होता है कि हमारी अन्तेवासिनी परम विदुध साध्वी # उमरावकुंवर जी 'अर्धजा' का जन्म, जो भाद्रपद की कृष्णा अष्टमी के साथ संयुक्त है, उनके अध्यात्म परिपूर
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